'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखना होगा': सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार के अधिकार की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

Update: 2023-08-16 03:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के महत्व को रेखांकित किया। इस याचिका में मीडिया को विनियमित करने के लिए भारत सरकार को "भारतीय प्रसारण नियामक प्राधिकरण" का गठन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

सुशांत सिंह राजपूत मामले की कवरेज की पृष्ठभूमि में रीपक कंसल द्वारा 2020 में दायर याचिका में "प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर चैनलों के प्रसारण द्वारा किसी व्यक्ति की गरिमा की हत्या को प्रतिबंधित करने के लिए" विभिन्न निर्देशों की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाले मीडिया ट्रायल को प्रतिबंधित करने के निर्देश देने की भी मांग की। याचिका में एक और राहत की मांग की गई थी कि "मीडिया, प्रेस और पत्रकारिता के नाम पर इन प्रसारण इलेक्ट्रॉनिक चैनलों द्वारा एयरवेव्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए निर्देश दिया जाए।"

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि याचिका में मांगी गई प्रार्थनाएं "बहुत व्यापक" हैं।

पीठ ने पारित आदेश में कहा, "सबसे पहले हमें यहां ध्यान देना चाहिए कि प्रार्थनाएं बहुत व्यापक हैं। दूसरे, हमें बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को भी ध्यान में रखना होगा।"

पीठ ने आगे कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी द्वारा दायर हलफनामों से पता चला है कि मीडिया प्रसारण से संबंधित शिकायतों से निपटने के लिए एक समिति अस्तित्व में है। समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करते हैं और इसमें नागरिक समाज के सदस्य होते हैं।

"इसके अलावा यह न्यायालय अलग-अलग याचिकाओं में नफरत फैलाने वाले भाषणों/समाचारों से निपट रहा है", न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हस्तक्षेप को अस्वीकार करते हुए कहा।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए उचित प्राधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन दाखिल करने की स्वतंत्रता दी।

कंसल की याचिका के साथ न्यायालय ने फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका पर भी विचार किया, जिसमें एक स्वतंत्र "मीडिया ट्रिब्यूनल" के गठन की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता को संबंधित हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की छूट देते हुए उक्त याचिका खारिज कर दी गई। नवलकाहा का प्रतिनिधित्व एडवोकेट शाश्वत आनंद और एडवोकेट राजेश इनामदार ने किया।

केस टाइटल : रीपक कंसल बनाम भारत संघ

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