सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले में प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने जनता दल (एस) के निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना की बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों के मामले में जमानत की मांग वाली याचिका खारिज की।
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
रेवन्ना की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि शिकायत में आईपीसी की धारा 376 के अपराध का उल्लेख नहीं किया गया।
उन्होंने कहा:
"शिकायत में धारा 376 के मुद्दे पर बात नहीं की गई।"
इसके बाद जस्टिस त्रिवेदी ने बताया कि कई अन्य शिकायतें भी थीं।
एडवोकेट रोहतगी ने कहा,
"चार्जशीट अब दाखिल की गई। मैं विदेश में था। मैं वापस आया और आत्मसमर्पण कर दिया। चार्जशीट अब दाखिल की गई। मैं पहले सांसद था। मैंने सांसद के लिए चुनाव लड़ा। मैं इन सब के कारण हार गया।"
जस्टिस त्रिवेदी ने कहा,
"याचिका खारिज की गई।"
रोहतगी ने अनुरोध किया,
"क्या मैं 6 महीने बाद आवेदन कर सकता हूं?"
जस्टिस त्रिवेदी ने जवाब में कहा,
"हम कुछ नहीं कह रहे हैं।"
21 अक्टूबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेवन्ना की नियमित जमानत और अग्रिम याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
एकल जज जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने पक्षों की सुनवाई के बाद जमानत याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा था।
19 सितंबर को जनता दल (एस) के निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर जमानत याचिका (पहला मामला) पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था, जिन्हें बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों में गिरफ्तार किया गया। 26 सितंबर को न्यायालय ने रेवन्ना द्वारा दायर दो अग्रिम जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
रेवन्ना ने पहले तर्क दिया कि इस स्तर पर उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया, उन्होंने कहा कि मामले में शिकायत दर्ज करने में देरी हुई।
रेवन्ना पर आईपीसी की धारा 376(2)एन, 376(2)के, 506, 354(ए), 354बी, 354सी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ई सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए।
केस टाइटल: प्रज्वल रेवन्ना बनाम कर्नाटक राज्य एसएलपी(सीआरएल) नंबर 15292/2024