सुप्रीम कोर्ट ने बंदियों को अन्य राज्यों की जेलों में स्थानांतरित करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर जम्मू-कश्मीर से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम, 1978 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए कुछ बंदियों को जम्मू और कश्मीर के भीतर स्थानीय जिला और केंद्रीय जेलों से देश के अन्य राज्यों की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया है।
सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
याचिका श्रीनगर के परिमपोरा की रहने वाली राजा बेगम द्वारा दायर की गई है, जो अपने बेटे आरिफ अहमद शेख के ठिकाने के बारे में नहीं जानती, जब से बेटे को वाराणसी की सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील, सीनियर एडवोकेट डॉ कॉलिन गोंजाल्विस के अनुसार, जैसे ही बंदियों को अलग-अलग राज्यों में ले जाया जाता है, वे अपने सभी अधिकार खो देते हैं। इसके अलावा, इस तरह के बंदियों के परिवार के सदस्यों को उनके ठिकाने के बारे में कुछ भी नहीं खबर नहीं है,जब से उन्हें स्थानांतरित किया गया है।
डॉ. गोंजाल्विस ने प्रस्तुत किया कि चूंकि विचाराधीन बंदियों को जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत गिरफ्तार किया गया है, जो केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित है, इसलिए उन्हें देश की अन्य जेलों में नहीं ले जाया जा सकता।
पीठ द्वारा यह पूछे जाने पर कि बंदियों को कहां भेजा जा रहा है, उन्होंने अदालत को सूचित किया कि बंदियों को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश की जेलों में भेजा जा रहा है।
उन्होंने आगे जोड़ा-
" लगभग 22 बंदी हैं, हम उनमें से चार के लिए पेश हो रहे हैं। बंदी जेल की आबादी का एक बहुत छोटा अंश हैं। उनके सभी अधिकार काट दिए गए हैं।"
सीजेआई ने पूछताछ की कि क्या जेल में लापता कैदी के करीबी कोई है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा-
" हां, उसके परिवार के सदस्य हैं। उन्हें महीनों तक पता भी नहीं चला।"
तदनुसार, अदालत ने भारत संघ के साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को नोटिस जारी किया। मामला अब 25 नवंबर 2022 के लिए सूचीबद्ध है।
केस टाइटल : राजा बेगम और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यूपी (सी) संख्या 906/2022