सुप्रीम कोर्ट ने अपील में मेडिकल लापरवाही का नया मामला गढ़ने के लिए NCDRC की आलोचना की, डॉक्टर के हक में दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 सितंबर) को एक शिकायतकर्ता को प्राप्त ₹10 लाख का मुआवज़ा वापस करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि NCDRC ने डॉक्टरों के खिलाफ 'प्रसवपूर्व लापरवाही' का मामला गढ़कर गलत मुआवज़ा दिया, जबकि मूल शिकायत 'प्रसवोत्तर लापरवाही' तक ही सीमित थी।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए दोहराया कि ऐसा नया मामला गढ़ना अस्वीकार्य होगा, जिसका ज़िक्र याचिका/शिकायत में कभी नहीं किया गया। चूंकि, NCDRC ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर डॉक्टर को कथित "प्रसवपूर्व लापरवाही" के लिए दोषी ठहराया था, जबकि शिकायतकर्ता का मामला "प्रसवोत्तर लापरवाही" तक ही सीमित था, इसलिए कोर्ट ने माना कि NCDRC ने "प्रसवपूर्व लापरवाही" के लिए मुआवज़ा देने में अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया।
अदालत ने कहा,
"जब उनका मामला, जैसा कि दलील दी गई और पेश किया गया, साबित नहीं हुआ तो NCDRC ने उनकी ओर से नया मामला बनाने और मरीज की प्रसवपूर्व देखभाल और प्रबंधन के संदर्भ में डॉ. कंवरजीत कोचर पर लापरवाही और दायित्व थोपने में स्पष्ट रूप से गलती की, जो शिकायत मामले का विषय ही नहीं था। ऐसा करके NCDRC ने अपनी शक्ति और अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया, क्योंकि शिकायत मामले में दलीलों से आगे बढ़कर खुद एक नया मामला बनाना उसके लिए उचित नहीं था।"
यह मामला तब उठा जब शिकायतकर्ता की पत्नी की अपीलकर्ता के नर्सिंग होम में एक मृत बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद एटोनिक पोस्ट-पार्टम हेमरेज (PPH) से मृत्यु हो गई। आरोप लगाए गए कि सुविधा अपर्याप्त थी, रक्त आधान की व्यवस्था में देरी हुई, पीजीआई चंडीगढ़ में स्थानांतरण में गड़बड़ी हुई और बच्चे की मृत्यु की तुरंत घोषणा करके स्थिति और खराब हो गई।
पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) ने शुरू में नर्सिंग होम को लापरवाह माना था और ₹20 लाख से ज़्यादा का मुआवज़ा देने का आदेश दिया था।
हालांकि, अपील पर NCDRC ने नर्सिंग होम को दायित्व से मुक्त कर दिया और फैसला सुनाया कि प्रसव या प्रसवोत्तर देखभाल में कोई लापरवाही नहीं हुई थी। फिर भी उसने एक नया मामला पेश किया, जिसमें डॉक्टर को कुछ प्रसवपूर्व जांचें न लिखने के लिए लापरवाह ठहराया गया। उसने पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ डॉक्टर पर डाल दी, जिसका शिकायतकर्ता के मामले में कभी ज़िक्र नहीं किया गया था।
जस्टिस संजय कुमार द्वारा लिखे गए फैसले में विवादित फैसला रद्द करते हुए कहा गया,
"NCDRC ने शिकायतकर्ताओं के लिए उनकी दलीलों के विपरीत एक नया मामला बनाकर अपने अधिकार क्षेत्र का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया।"
न्यायालय ने कहा कि एक बार जब NCDRC ने यह मान लिया कि शिकायतकर्ता की पत्नी के प्रसव या प्रसवोत्तर उपचार में कोई लापरवाही नहीं हुई थी तो मामला अंतिम रूप ले चुका था, खासकर इसलिए, क्योंकि शिकायतकर्ताओं ने अलग से कोई अपील दायर नहीं की थी, जिससे मामला बंद हो गया।
तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई।
Cause Title: Deep Nursing Home and another Versus Manmeet Singh Mattewal and others