सुप्रीम कोर्ट ने केरल के ओचिरा मंदिर प्रबंधन के चुनाव के लिए रिटायर्ड हाईकोर्ट जज को नियुक्त किया
केरल में ओचिरा परब्रह्म मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन से संबंधित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संबंधित मंदिर और उसके संबद्ध संस्थानों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए नए सिरे से चुनाव कराने के लिए प्रशासक नियुक्त किया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने मंदिर को अनूठा और ऐतिहासिक मंदिर माना और कहा कि मंदिर और उसकी संपत्तियों को संरक्षित और सुरक्षित रखना अनिवार्य है। न्यायालय ने न्यायिक निगरानी के तहत मंदिर प्रशासन में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के महत्व को रेखांकित किया।
जस्टिस महादेवन द्वारा लिखित निर्णय में कहा गया,
“इस मोड़ पर यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विषय मंदिर एक अनूठा, प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। इसका क्षेत्रफल 21.25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इसके अलावा, यह आम जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल, जैसे, परब्रह्म सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, नर्सिंग कॉलेज और नर्सिंग स्कूल का प्रशासन/संचालन करता है। दिए गए तथ्यों में मंदिरों और उनकी संपत्तियों को अत्यंत सावधानी से बहाल करना और संरक्षित करना अनिवार्य है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि विषय मंदिर के लिए योजना तैयार करने का मुकदमा जिला न्यायालय के समक्ष लंबित है और अंतिम डिक्री चरण में है। ऐसी परिस्थितियों में हमें लगता है कि विषय मंदिर और उसके अधीन संस्थानों के सुचारू और प्रभावी प्रशासन के लिए नए प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक के तत्वावधान में चुनाव कराना उचित और आवश्यक है, जिस प्रस्ताव पर सभी पक्षों की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्ठ वकील ने सहमति व्यक्त की है।”
यह मामला ओचिरा परब्रह्म मंदिर के शासन से संबंधित है, जो ऐतिहासिक मंदिर है। इसमें पारंपरिक मूर्ति या गर्भगृह नहीं है। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने निर्वाचित कार्यकारी समिति को भंग कर दिया तथा उसके स्थान पर एक अनिर्वाचित समिति को नियुक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप ये अपीलें दायर की गईं।
मामले को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किए:
"(i) माननीय जस्टिस के. रामकृष्णन, केरल हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संबंधित मंदिर और उसके संबद्ध संस्थानों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए चुनाव कराने हेतु प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक नियुक्त किया जाता है।
(ii) इस प्रकार नियुक्त प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक मतदाता सूची को अंतिम रूप देकर और उसे प्रकाशित करके चुनाव प्रक्रिया शुरू करेगा। साथ ही मंदिर के उपनियमों के अनुसार इस निर्णय की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार महीने की अवधि के भीतर उसे पूर्ण करेगा। उसके बाद इस न्यायालय में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगा।
(iii) प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक दो अधिकारियों को नियुक्त कर सकता है, अर्थात् जिला जज (रिटायर) के संवर्ग में तथा दूसरा कानूनी पेशे में, जिससे उसे सौंपे गए कार्य को शीघ्र पूरा करने में सहायता मिल सके।
(iv) प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक को प्रतिमाह 2,00,000/= रुपये का मानदेय दिया जाएगा। इसके अलावा यात्रा व्यय सहित उसके द्वारा किए गए सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति तथा उसके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए किए गए खर्चों की प्रतिपूर्ति, संबंधित मंदिर द्वारा बनाए गए कोष से की जाएगी। यदि वह अपनी सहायता के लिए रिटायर जिला जज तथा वकील को नियुक्त करता है तो रिटायर जिला जज को प्रतिमाह 75,000/= रुपये का मानदेय दिया जाएगा तथा वकील को प्रतिमाह 50,000/= रुपये की राशि का भुगतान किया जाएगा।
(v) प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक मंदिर तथा उसकी संस्थाओं के चुनाव तथा प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए सभी व्यय संबंधित मंदिर द्वारा बनाए गए कोष से वहन करेगा।
(vi) नव नियुक्त प्रशासनिक प्रमुख को विषय मंदिर तथा उसकी संस्थाओं के चुनाव, प्रशासन तथा प्रबंधन के संचालन से संबंधित किसी भी स्पष्टीकरण/निर्देश के लिए ट्रायल कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता है।
(vii) सभी पक्ष निर्धारित समय सीमा के भीतर चुनाव संपन्न कराने के लिए प्रशासनिक प्रमुख को अपनी सहायता/सहयोग प्रदान करेंगे। इस अनुच्छेद के उपर खण्ड (ii) में निर्धारित समय सीमा के अनुसार।
(viii) हमारे द्वारा पारित आदेश के मद्देनजर, हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक/एडवोकेट कमिश्नर का अस्तित्व समाप्त हो गया। इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से नवनियुक्त प्रशासनिक प्रमुख/प्रशासक को प्रभार/खाते सौंपने का निर्देश दिया जाता है। नवनियुक्त प्रशासक/प्रशासनिक प्रमुख चुनाव होने तक मंदिर/समितियों के मामलों का प्रबंधन करेंगे और निर्वाचित निकाय को प्रभार सौंपेंगे।
(ix) संबंधित मंदिर और उसकी संस्थाओं के कार्यों/कर्तव्यों/मामलों से संबंधित मौजूदा व्यवस्थाएं ट्रायल कोर्ट के अगले आदेश तक जारी रहेंगी।
(x) ट्रायल कोर्ट योजना तैयार करने के लिए दायर मुकदमे में अंतिम डिक्री कार्यवाही को यथासंभव शीघ्रता से पूरा करेगा। पक्षकार अंतिम डिक्री कार्यवाही में ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपने अधिकारों, योजना आदि से संबंधित सभी मुद्दों को भाग लेंगे और उठाएंगे।
(xi) यहां आरोपित आदेश तदनुसार संशोधित किए जाते हैं।"
केस टाइटल: ओचिरा परब्रह्म मंदिर एवं अन्य बनाम जी. विजयनाथकुरुप एवं अन्य, सिविल अपील संख्या 13708 - 13709 वर्ष 2024