सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के निजी स्कूलों को छह मासिक किस्तों में ट्यूशन फी वसूलने की अनुमति दी
राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुए, जिसमें निजी सीबीएसई स्कूलों को केवल 70% ट्यूशन फी लेने की अनुमति दी गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐसे स्कूलों को छात्रों से छह समान मासिक किस्तों में पूरी फीस लेने की अनुमति दी।
आदेश में कहा गया कि प्रबंधन के पास छात्रों से, शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 के लिए अधिसूचित फीस को 6 मासिक किस्तों में लेने का अधिकार होगा, पहली किस्त 5 मार्च, 2021 से शुरू होगी।
हालांकि, अदालत ने शर्त रखी कि स्कूल फीस या किस्तों का भुगतान न होने आधार पर छात्रों को डीबार नहीं कर सकते या उनके परीक्षा परिणाम रोक नहीं सकते हैं। कोई भी छात्र दसवीं या बारहवीं की परीक्षाओं में, फीस नहीं देने के कारण, उपस्थित होने से रोका नहीं जा सकता है। लेकिन छात्रों के माता-पिता को यह वचन देना चाहिए कि बकाया का भुगतान बाद में किया जाएगा।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक अंतरिम व्यवस्था है, और सुनवाई के बाद पारित किए जाने वाले अंतिम आदेश के अधीन है। अंतरिम आदेश पक्षकारों के अधिकारों और अंतर्विरोधों का पूर्वाग्रह नहीं करेगा।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि किस्त की व्यवस्था वर्तमान शुल्क से अलग है, जो छात्रों द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए देय होगा।
न्यायालय ने राजस्थान राज्य को निजी विद्यालयों की इकाई लागतों के संबंध में बकाया राशि को मंजूरी देने का भी निर्देश दिया, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा अनिवार्य रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित 25% छात्रों को पढ़ाने के लिए ऐसे विद्यालयों द्वारा वहन की जाने वाली लागत को कवर करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने वाली निजी सीबीएसई स्कूलों द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस का 70% चार्ज करने की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली एक अन्य पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर विचार कर रही है, जिसमें निजी स्कूलों को 20% तक फीस घटाने का निर्देश दिया गया था।