सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत मामले में आरोपी ED अधिकारी को तमिलनाडु से बाहर जाने की अनुमति दी

Update: 2024-10-24 04:23 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी अंकित तिवारी को अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए मध्य प्रदेश जाने की अनुमति दी। तिवारी को रिश्वत मामले में तमिलनाडु के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने तिवारी द्वारा तमिलनाडु से बाहर जाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदन पर यह आदेश पारित किया। यह आवेदन इसलिए दायर किया गया, क्योंकि तिवारी को अंतरिम जमानत देते समय कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि वह बिना अनुमति के तमिलनाडु से बाहर नहीं जाएंगे।

आदेश सुनाते हुए जस्टिस कांत ने कहा,

"दिनांक 20.03.2024 के आदेश को इस सीमा तक संशोधित/स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ता को 09.11.2024 तक अपने परिवार के सदस्यों/रिश्तेदारों से मिलने के लिए मध्य प्रदेश राज्य जाने की अनुमति है। हालांकि, यदि 09.11.2024 से पहले ट्रायल कोर्ट द्वारा कोई तिथि निर्धारित की जाती है तो याचिकाकर्ता निर्धारित तिथि पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहेगा।"

संक्षेप में मामला

ED अधिकारी को दिसंबर, 2023 में तमिलनाडु सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) द्वारा सरकारी डॉक्टर से उसके खिलाफ मामला फिर से खोलने की धमकी देकर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वर्तमान याचिका के माध्यम से उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के 20 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार किया गया था।

हाईकोर्ट द्वारा उनकी दूसरी जमानत याचिका को भी खारिज किए जाने के बाद तिवारी ने लंबित मामले में एक आवेदन के साथ-साथ अलग विशेष अनुमति याचिका भी दायर की। उनकी दलीलों के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में तिवारी को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। हालांकि, यह अंतरिम राहत कुछ शर्तों के अधीन थी, जिसमें यह भी शामिल था कि वह अदालत की अनुमति के बिना तमिलनाडु नहीं छोड़ेंगे। तदनुसार, तिवारी ने अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए मध्य प्रदेश की यात्रा करने की अनुमति मांगते हुए एक आवेदन दायर किया था।

न्यायालय ED द्वारा दायर एक अलग याचिका पर भी सुनवाई कर रहा है, जिसमें तमिलनाडु DVAC से तिवारी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित करने की मांग की गई। राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाते हुए केंद्रीय एजेंसी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी याचिका में दावा किया कि तमिलनाडु पुलिस ने जानबूझकर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक FIR और सामग्री तक उसकी पहुंच में बाधा डाली है।

केस टाइटल: अंकित तिवारी बनाम पुलिस निरीक्षक | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 3342-3343/2024

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