"बेटी को 500 रुपये न देने पर अचानक उकसावा" : सुप्रीम कोर्ट ने पति की हत्या करने वाली महिला की दोषसिद्धि में संशोधन किया

Update: 2023-08-03 04:17 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अपने पति की हत्या की आरोपी महिला की सजा को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) से बदलकर धारा 304 भाग 1 आईपीसी (गैर इरादतन हत्या) कर दिया।

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा,

"मृतक द्वारा अपनी बेटी को 500/- रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत ना होने के कारण उकसावे के चलते आत्म-नियंत्रण की शक्ति से वंचित होने पर आरोपी द्वारा मृतक की मृत्यु की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।"

कोर्ट ने माना कि ये मामला आईपीसी की धारा 300 (अचानक और गंभीर उकसावे) के अपवाद 1 के अंतर्गत आता है।

अदालत ने यह भी कहा कि अपराध में इस्तेमाल किया गया हथियार एक छड़ी है जो घर में पड़ी थी और उसे घातक हथियार नहीं कहा जा सकता।

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने निर्मला देवी को अपने पति की हत्या का दोषी ठहराया था।

ट्रायल कोर्ट ने आरोपी और मृतक की बेटी की गवाही पर भरोसा किया, जिसने कहा कि उसने अपने पिता से 500/- रुपये देने के लिए कहा क्योंकि वह एनसीसी कैंप में भाग लेना चाहती थी। इसके कारण उसके पिता और मां के बीच झगड़ा हुआ और उसकी मां ने उसके पिता के सिर और पैरों पर डंडे से वार किया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई।

पीठ ने कहा ,

"प्रियंका (अभियोजन गवाह-1) की गवाही की सावधानीपूर्वक जांच के बाद भी, हमने पाया कि आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषसिद्धि को बनाए रखना मुश्किल होगा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि एक तरफ मृतक और दूसरी ओर परिवार के अन्य सदस्य , जिसमें अपीलकर्ता, मृतक की पत्नी, उसका बेटा, मूल आरोपी और मृतक की बेटी प्रियंका (अभियोजन गवाह -1) शामिल हैं, के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं थे।"

अदालत ने कहा कि अपराध में इस्तेमाल किया गया हथियार एक छड़ी है जो घर में पड़ी थी और जिसे किसी भी तरह से घातक हथियार नहीं कहा जा सकता है।

अदालत ने दोषसिद्धि को संशोधित करते हुए कहा,

"इसलिए, अपीलकर्ता द्वारा अभियोजन गवाह -1 को 500/- रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत ना होने के कारण उकसावे के कारण, आत्म-नियंत्रण की शक्ति से वंचित रहते हुए मृतक की मृत्यु का कारण बनने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। खारिज की जाती है। हम आगे पाते हैं कि उस पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना आवश्यक होगा जिसमें अपराध हुआ था। मृतक और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़े होते थे। ऐसी एक घटना में, अपीलकर्ता का पैर टूट गया , मृतक की हड्डी टूट गई थी और उक्त अपराध के लिए उसके खिलाफ पहले से ही एक मामला लंबित था।"

न्यायालय ने कहा कि पत्नी पहले ही लगभग 9 वर्षों की अवधि के लिए जेल में रह चुकी है, और आदेश दिया कि पहले ही काटी जा चुकी सजा न्याय के उद्देश्य को पूरा करेगी।

मामले का विवरण- निर्मला देवी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC ) 585 | 2023 662 INSC 2023

हेडनोट्स

भारतीय दंड संहिता, 1860 ; धारा 302, 304 भाग 1 - दोषसिद्धि धारा 302 से धारा 304 भाग 1 में बदल दी गई - अपीलकर्ता द्वारा आत्म-नियंत्रण की शक्ति से वंचित रहते हुए मृतक की मृत्यु का कारण बनने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है, खारिज की गई - अपराध में इस्तेमाल किया गया हथियार एक छड़ी है जो घर में पड़ी थी, और जिसे किसी भी तरह से घातक हथियार नहीं कहा जा सकता है - उस पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना आवश्यक होगा जिसमें अपराध हुआ था । मृतक और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़े होते थे।

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