उत्कृष्ट गवाह उच्च गुणवत्ता का होना चाहिए, जिसकी गवाही अकाट्य होः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक निर्णय में कहा कि चश्मदीद गवाह का साक्ष्य उत्कृष्ट गुणवत्ता का और क्षमतावान होना चाहिए। न केवल अदालत को ऐसी गवाही को स्वीकार करने का विश्वास पैदा होना चाहिए, बल्कि यह ऐसी प्रकृति का भी होना चाहिए, जिसे उसकी फेस वैल्यू पर स्वीकार किया जा सके।
कोर्ट ने राय संदीप उर्फ दीपू उर्फ दीपू बनाम राज्य (दिल्ली राज्य) (2012) 8 एससीसी 21 पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था,
"उत्कृष्ट गवाह" बहुत उच्च गुणवत्ता और क्षमता का होना चाहिए, जिसका बयान अकाट्य होना चाहिए। ऐसे गवाह के वर्जन पर कोर्ट बिना किसी हिचकिचाहट के उसे फेस वैल्यू पर स्वीकार करने की स्थिति में होना चाहिए। ऐसी गवाही का प्रासंगिक बिंदु, गवाह के बयान की सत्यता है। यह स्वाभाविक और अभियोजन के मामले के अनुरूप होना चाहिए।
गवाह को किसी भी प्रकार की जिरह का सामना करने की स्थिति में होना चाहिए, यह कितना भी कठिन क्यों न हो। यह भी कहा जा सकता है कि यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य के मामले में लागू परीक्षण के समान होना चाहिए, जहां आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए परिस्थितियों की श्रृंखला मे कोई गायब लिंक नहीं होना चाहिए।
यदि ऐसे गवाह का बयान उपरोक्त परीक्षण के साथ-साथ अन्य सभी समान परीक्षणों को पास करता है तो यह माना जा सकता है कि ऐसे गवाह को "उत्कृष्ट गवाह" कहा जा सकता है, जिसके बयान को अदालत बिना किसी रोक-टोक के स्वीकार कर सकती है और जिसके आधार पर दोषियों को दंडित किया जा सकता है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विश्वसनीय प्रत्यक्षदर्शी गवाही के लिए इन मानदंडों का अन्य सभी सहायक सामग्रियों जैसे कि की गई बरामदगी, इस्तेमाल किए गए हथियार, जिस तरह से अपराध किया गया था, वैज्ञानिक साक्ष्य और विशेषज्ञ की राय के साथ संबंध होना चाहिए। संक्षेप में, एक उत्कृष्ट गवाह का विवरण मामले के अन्य सभी साक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की सुप्रीम कोर्ट की पीठ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आईपीसी की धारा 149 सहपठित धारा 302 के तहत अपीलकर्ताओं की सजा की पुष्टि की गई थी।
केस टाइटलः नरेश @ नेहरू बनाम हरियाणा राज्य
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एससी) 880