विशिष्ट अदायगी - एक वादी के खिलाफ महज इसलिए प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता क्योंकि उसने अपनी बैंक पासबुक पेश नहीं की : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विशिष्ट अदायगी के एक मुकदमे में किसी वादी के खिलाफ उसकी पासबुक पेश न करने के लिए प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है, जब तक कि उसे पासबुक पेश करने के लिए न कहा गया हो।
इस मामले में, ट्रायल कोर्ट ने विशिष्ट अदायगी का आदेश दिया। अपील में, हाईकोर्ट ने डिक्री को मुख्य रूप से इस आधार पर रद्द कर दिया कि वादी अनुबंध के अपने हिस्से के करार को पूरा करने के लिए न तो तैयार था, न इच्छुक। हाईकोर्ट के अनुसार, वादी ने यह साबित नहीं किया कि उसके पास नकद और/या राशि और/या पर्याप्त धन/साधन शेष बिक्री प्रतिफल का भुगतान करने के लिए था, क्योंकि कोई पासबुक और/या बैंक खाते प्रस्तुत नहीं किए गए थे।
अपील में, वादी ने ‘इन्दिरा कौर और अन्य बनाम शिव लाल कपूर; (1988) 2 एससीसी 488’ और ‘रामरती कुवर बनाम द्वारिका प्रसाद सिंह; (1967) 1 एससीआर 153’ में दिये गये फैसलों पर भरोसा जताया।
जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा,
"रामरती कुवर (सुप्रा) के मामले में इस कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों पर विचार करने के बाद इंदिरा कौर (सुप्रा) मामले में इस कोर्ट ने नीचे की तीन कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों को रद्द कर दिया है, जिसमें पासबुक पेश नहीं करने के लिए वादी के खिलाफ एक प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला गया था और माना गया था कि वादी समझौते के अपने करार को पूरा करने के लिए न तो तैयार था, न इच्छुक। यह कहा गया और व्यवस्था दी गयी कि जब तक वादी को प्रतिवादी या कोर्ट आदेश द्वारा पासबुक पेश करने के लिए नहीं कहा जाता है, कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।"
अपील की अनुमति देते हुए और ट्रायल कोर्ट के डिक्री को बहाल करते हुए, बेंच ने वादी को आदेश दिया कि वह प्रतिवादी को 10 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करे। कोर्ट ने आदेश दिया कि इसे आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर जमा किया जाना है और इस भुगतान के बाद, प्रतिवादी को दो सप्ताह की अवधि के भीतर मूल वादी के पक्ष में सेल डीड निष्पादित करने का निर्देश दिया जाता है।
केस विवरण- बसवराज बनाम पद्मावती | 2023 लाइवलॉ (एसी) 17 | सीए 8962-8963/2022 | 5 जनवरी 2023 | जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना
अपीलकर्ता(ओं) की ओर से एओआर निशांत पाटिल, अधिवक्ता के परमेश्वर, अधिवक्ता निशांत पाटिल, अधिवक्ता आयुष पी शाह, अधिवक्ता सुश्री श्रेगुरुप्रिया।
प्रतिवादी(ओं) के लिए अधिवक्ता शैलेश मडियाल, अधिवक्ता विनायक पंडित, अधिवक्ता राजन परमार, अधिवक्ता अक्षय कुमार, एओआर मृगांक प्रभाकर
हेडनोट्स
विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963; धारा 16 - जब तक वादी को प्रतिवादी द्वारा पासबुक पेश करने के लिए नहीं कहा जाता है या अदालत उसे ऐसा करने का आदेश नहीं देती है, तब तक कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है - संदर्भ इंदिरा कौर बनाम शिव लाल कपूर (1988) 2 एससीसी 488 और रामरती कुवर बनाम द्वारिका प्रसाद सिंह; (1967) 1 एससीआर 153. (पैरा 6 -7)
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