"कॉलेजियम की सिफारिशों में निर्धारित वरिष्ठता का पालन किया जाना चाहिए": सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मुद्दे को हल करने को कहा

Update: 2022-12-09 10:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों को अंतिम रूप देने में देरी को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका में पारित आदेश में केंद्र द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों को अलग करने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है।

न्यायालय ने केंद्र से इस मुद्दे को हल करने के लिए कहा है, क्योंकि जब केंद्र उसी प्रस्ताव में दिये गए अन्य नामों को छोड़कर कुछ नामों को चुनने का फैसला करता है तो कॉलेजियम से सीनियरिटी बाधित होती है।

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओक और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ द्वारा पारित आदेश इस प्रकार है:

"एक और पहलू जिस पर हमारे सामने जोर दिया गया है वह यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिफारिशों को मंजूरी दे दी जाती है तो उसमें निर्धारित वरिष्ठता का पालन किया जाना चाहिए क्योंकि यह आवश्यक परेशानी को जन्म देता है। इस मुद्दे को श्री प्रशांत भूषण ने भी 2018 के WP (आपराधिक) नंबर 895 में IA No.5673/2022। में हरी झंडी दिखाई है। यह एक और पहलू है जिस पर सरकार को खुद ध्यान देना चाहिए।

जस्टिस कौल ने मामले की सुनवाई के दौरान कल मौखिक रूप से कहा था कि कुछ नामों को तेजी से मंजूरी दी जाती है जबकि कुछ को महीनों तक लंबित रखा जाता है। इससे पहले 28 नवंबर को हुई सुनवाई में भी जस्टिस कौल ने यही चिंता जताई थी।

"कभी-कभी जब आप नियुक्ति करते हैं, तो आप सूची से कुछ नाम चुनते हैं और दूसरों को नहीं। आप जो करते हैं वह प्रभावी रूप से वरिष्ठता को बाधित करता है। जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिफारिश करता है, तो कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है।"

कॉलेजियम के प्रस्ताव को केंद्र द्वारा विभाजित करने का एक हालिया उदाहरण जस्टिस एस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 सितंबर को जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस डॉ. एस मुरलीधर को जम्मू-कश्मीर और एल हाईकोर्ट और उड़ीसा हाई कोर्ट से क्रमशः राजस्थान और मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया । हालांकि, न्याय विभाग ने उसी कॉलेजियम के प्रस्ताव में किए गए जस्टिस मुरलीधर के प्रस्ताव को नजरअंदाज करते हुए 11 अक्टूबर को ही जस्टिस मित्तल के तबादले की अधिसूचना जारी कर दी ।

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