धारा 149 आईपीसी - गवाह से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह प्रत्येक आरोपी के विशिष्ट कृत्य के बारे में ग्राफिक डिटेल्स के साथ बताएगा : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-08-21 04:29 GMT

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 149 से जुड़े मामले में, एक गवाह से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह आरोपी के उस विशिष्ट प्रत्यक्ष कृत्य के बारे में ग्राफिक विवरण के साथ बात करेगा, जिसके लिए प्रत्येक आरोपी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

इस मामले में अपीलकर्ताओं-अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 149 और 148 सहपठित धारा 302 के तहत समवर्ती रूप से दोषी ठहराया गया। अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि अभियुक्तों के साथ-साथ लगभग 14 अन्य अभियुक्त हथियारों से लैस थे और उन्होंने बंदूक और लकड़ी के लट्ठों से खेत में जाकर वहां काम कर रहे तीन लोगों पर हमला कर दिया और उनकी हत्या कर दी।

शीर्ष अदालत के समक्ष यह तर्क उठाया गया कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य में भौतिक विरोधाभास हैं और अभियोजन पक्ष के गवाह ने एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) से भी इनकार किया है।

अदालत ने कहा कि हालांकि गवाह ने बयान दिया कि उसने एफआईआर नहीं लिखवाई है, लेकिन इसमें किए गए हस्ताक्षर के संबंध में उसकी ओर से स्वीकारोक्ति है।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा,

"तीन मौतें हुई हैं और गवाहों ने स्पष्ट रूप से अभियुक्तों की उपस्थिति के बारे में बात की है। आईपीसी की धारा 149 से जुड़े मामले में कोई भी गवाह से यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि वह विशिष्ट प्रत्यक्ष कृत्य के बारे में ग्राफिक विवरण के साथ बात करेगा, जिसके लिए प्रत्येक आरोपी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"

केस टाइटल : भोले बनाम मध्य प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 669 | 2012 का सीआरए 889-890

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