एससीबीए ने कार्यकारी समिति में सामंजस्य को बिगाड़ने के लिए अशोक अरोड़ा के ख़िलाफ़ कारण बताओ नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने अशोक अरोड़ा को नोटिस जारी कर पूछा है कि कथित रूप से आरोप लगाने के लिए उनके ख़िलाफ़ तीन सदस्यीय समिति की एकतरफ़ा जाँच क्यों न शुरू की जाए।
इन कथित आरोपों में कार्यकारी समिति में शत्रुता का वातावरण उत्पन्न करना, समिति के सामंजस्यपूर्ण कामकाज में बाधा पहुँचाना, एससीबीए के अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपशब्द का प्रयोग, एससीबीए के कोषाध्यक्ष मीनेश दुबे को धमकाना, ग़ैरक़ानूनी कार्यकारी समिति की बैठक बुलाना, एससीबीए के कार्यक्रम में शर्मनाक स्थिति पैदा करना और बैठकों का मिनट तैयार नहीं करना शामिल है।
आरोप लगाया गया है कि अरोड़ा ने कार्यकारी समिति (ईसी) की 18 दिसंबर 2019 को हुई पहली बैठक से ही विरोधी और बाधा खड़ी करने का रुख अपना रहे हैं।
एक बैठक में उन्होंने एससीबीए के अध्यक्ष पर चिल्लाया था। उन्होंने एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे को "रावण" , "निर्लज्ज प्राणी" कहा था और उनके ख़िलाफ़ अन्य अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।
एससीबीए के कोषाध्यक्ष मीनेश दुबे के ख़िलाफ़ एक व्हाट्सएप संदेश का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि अरोड़ा ने बिना किसी अथॉरिटी के काम किया और ईसी में फूट डालने की कोशिश की।
नोटिस में यह भी कहा गया है कि अरोड़ा ने ईसी की बैठकों के मिनट को दर्ज करने में न केवल कोताही बरती और इसका रिकॉर्ड उचित तरीक़े से नहीं रखा बल्कि मामलों की अनुमति प्राप्त करने के लिए व्हाट्सऐप पर कार्रवाई की गई जिसकी ईसी से कई सदस्यों ने विरोध किया ।
नोटिस में कहा गया है कि आईएसआईएल सभागार में एससीबीए के एक कार्यक्रम जिसमें न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता सहित अन्य महत्त्वपूर्ण लोग आए हुए थे, इस भाषण में उन्होंने बहुत ही रूखे तरीक़े से, जोर से और अनावश्यक रूप से भड़कते हुए भाषण दिया और उनका व्यवहार काफ़ी शर्मिंदा करने वाला था और सचिव के उनके पद की गरिमा के विपरीत था।
फिर, 7 मई 2020 को अरोड़ा ने एससीबीए की जनरल बॉडी की अनधिकृत बैठक सचिव होने के नाते बुलाई जो कि एससीबीए के नियमों के ख़िलाफ़ है।
अरोड़ा को इस कारण बताओ नोटिस का एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है।