SCAORA ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा अदालत द्वारा नोटिस जारी करने से पहले प्रतिवादियों को स्वचालित अलर्ट जारी करने पर जातई आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को पत्र लिखकर नए मामले दायर करने पर प्रतिवादियों को स्वचालित एसएमएस और ईमेल अलर्ट भेजने की हालिया प्रथा पर चिंता जताई।
SCAORA के मानद सचिव निखिल जैन ने पत्र में रजिस्ट्री से अनुरोध किया कि प्रतिवादियों के संपर्क विवरण अनिवार्य रूप से प्रदान करने की आवश्यकता को समाप्त किया जाए और न्यायिक आदेश के बिना स्वचालित सूचनाएं भेजने पर रोक लगाई जाए।
एसोसिएशन ने कहा कि वर्तमान प्रणाली के तहत अधिवक्ताओं को नए मामले दायर करते समय फिजिकल लिस्टिंग प्रोफार्मा और ई-फाइलिंग पोर्टल दोनों में प्रतिवादियों का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी प्रदान करना आवश्यक है। SCAORA के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप प्रतिवादियों को रजिस्ट्री से स्वचालित अलर्ट प्राप्त होते हैं, भले ही उन्होंने मामले में कोई कैविएट दायर न किया हो या उपस्थिति दर्ज न कराई हो।
SCAORA ने बताया कि न्यायिक निर्देश के अभाव में भेजे जा रहे ऐसे अलर्ट सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन हैं। पत्र में कहा गया कि स्वचालित अलर्ट न्यायिक विवेकाधिकार को प्रभावी रूप से बाधित करते हैं और कैविएट और नोटिस की औपचारिक तामील की व्यवस्था को निरर्थक बना देते हैं।
पत्र में लिखा गया,
"यह प्रथा सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के तहत स्थापित प्रक्रिया से महत्वपूर्ण विचलन है, जिसके अनुसार प्रतिवादियों को नोटिस केवल न्यायिक आदेश के बाद या कैविएट दायर होने पर ही जारी किया जाना चाहिए। वर्तमान प्रणाली स्वचालित अलर्ट भेजकर ऐसे न्यायिक निर्देशों को प्रभावी रूप से बाधित करती है। साथ ही कैविएट दायर करने और नोटिस की औपचारिक तामील के उद्देश्य को ही निरर्थक बना देती है।"
एसोसिएशन ने प्रक्रियात्मक निष्पक्षता और निजता के बारे में भी चिंता व्यक्त की, खासकर संवेदनशील मामलों में जहां विरोधी पक्ष को समय से पहले सूचना देना नुकसानदेह हो सकता है।
पत्र में कहा गया,
"हम सम्मानपूर्वक यह कहना चाहते हैं कि इससे नए मामले दायर करने में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता और निजता को लेकर भी चिंताएं पैदा होती हैं, खासकर ऐसे संवेदनशील मामलों में जहां न्यायिक आदेश के बिना विरोधी पक्ष को अग्रिम सूचना देना नुकसानदेह हो सकता है।"
अपने पत्र में SCAORA ने रजिस्ट्री से अनुरोध किया कि वह दाखिल करने के चरण में प्रतिवादियों के संपर्क विवरण प्रदान करने की अनिवार्य आवश्यकता को समाप्त करे, जब तक कि कोई कैविएट दायर न किया गया हो। इसके बजाय, उसने अनुरोध किया है कि यदि ऐसी जानकारी रिकॉर्ड रखने के लिए एकत्र की जाती है तो तब तक कोई अलर्ट नहीं भेजा जाना चाहिए, जब तक कि प्रतिवादी ने कैविएट दायर न कर दिया हो या नोटिस की वैध तामील के बाद एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के माध्यम से उपस्थिति दर्ज न करा दी हो।
SCAORA ने कहा कि प्रस्तावित उपाय वर्तमान प्रथा को सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुरूप लाएंगे और न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने वाले पक्षों के प्रक्रियात्मक अधिकारों की रक्षा करेंगे।