सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार के लिए पति पर मुकदमे की अनुमति देने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

Update: 2022-07-20 01:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें एक पति पर उसकी पत्नी द्वारा कथित बलात्कार के आरोप के बाद इस अपराध के लिए पति पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई थी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने हाईकोर्ट के 23 मार्च, 2022 के फैसले पर अगली सुनवाई की तारीख तक अंतरिम रोक लगाने का आदेश पारित किया।

पीठ ने पत्नी द्वारा अपने पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर सत्र न्यायालय में सुनवाई की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी।

हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप की एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए यह फैसला सुनाया था। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 का अपवाद 2 - जो एक पति को अपनी पत्नी के खिलाफ बलात्कार के अपराध से छूट देता है - "पूर्ण" नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा था,

" एक आदमी, एक आदमी है, एक कृत्य एक कृत्य है, बलात्कार, एक बलात्कार है, चाहे वह एक पुरुष "पति" द्वारा महिला "पत्नी" पर किया गया हो।"

कोर्ट ने कहा,

" मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों में इस तरह के हमले/बलात्कार करने पर पति को पूर्ण छूट नहीं हो सकती है, क्योंकि कानून में कोई भी छूट इतनी पूर्ण नहीं हो सकती है कि यह समाज के खिलाफ अपराध करने का लाइसेंस बन जाए।"

कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपवाद की श्रेणी में रखना "प्रतिगामी" है और यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत के विपरीत होगी।

हाईकोर्ट के फैसले से व्यथित पति ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को पति की याचिका पर नोटिस जारी किया था. हालांकि, अदालत ने तब फैसले और मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

पत्नी के वकील ने मंगलवार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा। पति के वकील ने स्थगन के अनुरोध का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी और मामले को एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया।

संबंधित नोट पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने 11 मई को वैवाहिक बलात्कार अपवाद की संवैधानिकता पर एक विभाजित फैसला दिया था । उस फैसले की अपील सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई है।


केस टाइटल : ऋषिकेश साहू बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य एसएलपी (सीआरएल) 4063/2022

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