सुप्रीम कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ देश भर में दायर FIR को एक जगह करने की याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शरजील इमाम की देश भर में उनके खिलाफ दायर एफआईआर की जांच एक ही एजेंसी से कराने की याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दिल्ली पुलिस को याचिका का जवाब देने का निर्देश दिया ।मामले को अगले दस दिनों के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा।
इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने प्रस्तुत किया कि विभिन्न राज्यों द्वारा दर्ज सभी पांच एफआईआर उनके द्वारा दिए गए एक ही भाषण पर आधारित हैं।
वकील ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में लगाई गई रोक का उल्लेख किया।
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि अगर पुलिस को कुछ संज्ञेय अपराध के बारे में पता चलता है तो वह एफआईआर दर्ज करने में गलत नहीं है।
इमाम पर राजद्रोह और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप लग रहे हैं। वर्तमान में इमाम गुवाहाटी जेल में बंद हैं।
13 दिसंबर और 15 दिसंबर, 2019 को जामिया में हिंसा में शामिल होने के लिए जवाहरलाल विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ विभिन्न राज्यों में पांच एफआईआर दर्ज की गई थीं। उन पर दिसंबर में भड़काऊ भाषण के कारण, जामिया दंगों को भड़काने और 15 जनवरी को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने पर आरोप लगाए गए।
इमाम, जो पहले दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध के आयोजकों में से एक थे, उन पर राजद्रोह के आरोप लगे हैं, जिसमें IPC 124 & 153A (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ) अधिनियम की धारा 13 भी जोड़ी गई है।
25 अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत ने UAPA के तहत खिलाफ जांच की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया, जिसका मतलब है कि जांच की अवधि तक इमाम की नज़रबंदी बढ़ गई है। इसके विस्तार की मांग करते हुए, दिल्ली की अपराध शाखा ने इस आधार पर अधिक समय मांगा था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन ने जांच की गति को गंभीर रूप से बाधित कर दिया है।