सुप्रीम कोर्ट ने "ज़ूम" सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन पर बैन लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने "ज़ूम" सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन पर बैन लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है , जिसमें एक उपयुक्त कानून बनने तक भारतीय जनता द्वारा सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन "ज़ूम" के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
देश के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को कहा कि वो चार हफ्ते में इस पर जवाब दाखिल करे।
याचिका मुख्य रूप से ऐप की इंटरनेट सुरक्षा की कमी पर आधारित है। इसमें कहा गया है कि एप्लिकेशन सुरक्षित नहीं है और इसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नहीं है और यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी (प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों का अवरोधन, निगरानी) का उल्लंघन कर रहा है।
यह दलील दी गई है कि
"जूम सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की निजता को खतरा है और यह साइबर सुरक्षा को भी प्रभावित करता है। यह भी कहा गया कि ज़ूम वीडियो कम्युनिकेशंस के सीईओ ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और सुरक्षित रूप से सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के मामले में एप्लिकेशन को दोषपूर्ण माना है, जो साइबर सुरक्षा के मानदंडों के खिलाफ है। " याचिकाकर्ता हर्ष चुघ ने होममेकर और रिमोट वर्कर (जूम के माध्यम से ट्यूशन क्लासेज लेने वाले) के तौर पर हैकिंग और साइबर ब्रीच के मामलों के बारे में चिंतित है, जो लगातार रिपोर्ट की जा रही है।
इसलिए, याचिका ने अन्य हितधारकों जैसे केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय और एमएचए के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग को भी ज़िम्मेदार बताया है। याचिका में कहा गया कि "जो राहतें मांगी गई हैं, वे प्रत्येक दिन के साथ बढ़ते सॉफ्टवेयर के दखल के मद्देनजर जरूरी हैं और वर्तमान याचिका में उठाई गई चिंताओं के कारण पूरे भारत में इसका असर होगा "
इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने कहा है कि "ज़ूम ऐप डेटा होर्डिंग और साइबर होर्डिंग की प्रैक्टिस करता है", "ज़ोम्बॉम्बिंग" जैसे अनधिकृत उपयोग के मुद्दे जहांमीटिंग में एक अजनबी ज़ूम मीटिंग में शामिल होता है और आपत्तिजनक चीजों / अश्लील चित्र डालकर अव्यवस्था का कारण बनता है।
"एंड टू एंड एन्क्रिप्शन" ज़ूम के झूठे विज्ञापन के मुद्दे और चल रही महामारी पर इसके निरंतर पूंजीकरण पर याचिकाकर्ता द्वारा जोर दिया गया है और यह सॉफ़्टवेयर या ऐप के आसपास की सुरक्षा चिंताओं के बारे में साइबर समन्वय समिति की सार्वजनिक सलाह पर भी प्रकाश डाला गया है।
याचिका में कहा गया कि
"यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि ज़ूम लगातार उचित सुरक्षा प्रथाओं को लागू करने और बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्य का उल्लंघन करता है, और प्रोडक्ट के सुरक्षा लाभों के बारे में उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है। ज़ूम ने बजाय लोगों की परेशानी दूर करने के उपभोक्ताओं, व्यवसायों और स्कूलों को टारगेट किया है ..... ।
लोगों की ज़रूरत के अनुसार, ज़ूम अपने लाखों उपयोगकर्ताओं की निजता का दुरुपयोग करके और उनकी निजी जानकारी का दुरुपयोग करके, और भ्रामक रूप से विज्ञापन के काल्पनिक सुरक्षा लाभों का उल्लंघन करता है।"
इस पृष्ठभूमि में, दलील में कहा गया है कि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक विनियमन को प्रभावित करने के लिए एक कानून बनाए जाने की आवश्यकता है, जैसा कि दुनिया भर में विभिन्न नेताओं द्वारा इसे प्रकाश में लाया गया है। इसको ध्यान में रखते हुए, याचिका पूरी दुनिया में "सुरक्षा विफलताओं और निजता के उल्लंघन के पैटर्न" से संबंधित मुद्दे को उठाती है।
याचिका को एडवोकेट दिव्य चुघ और निमिष चिब ने तैयार किया है और एडवोकेट वाजिह शफीक ने दायर किया है।