अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला : सुप्रीम कोर्ट ने  क्रिश्चियन मिशेल को जमानत देने से इनकार किया 

Update: 2020-04-22 10:03 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आरोपी क्रिश्चियन मिशेल को जमानत देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने उसकी अंतरिम जमानत याचिका को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें उल्लेख किया गया था कि मिशेल को जेल में भीड़भाड़ और बढ़ती उम्र के कारण COVID19 वायरस का शिकार होने की आशंका "निराधार" है। 

11 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत के लिए उनकी याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने उल्लेख किया कि,

' जहां तक कि याचिकाकर्ता को COVID-19 महामारी से संक्रमित होने की आशंका का संबंध है, यह ध्यान दिया जा सकता है कि याचिकाकर्ता को केवल दो अन्य कैदियों के साथ अलग सेल में रखा गया है और इस प्रकार वो किसी बैरक या डॉरमेटरी में नहीं है जहां कैदियों की अधिक संख्या हो।

यह याचिकाकर्ता का मामला नहीं है कि उसके साथ रहने वाले दो कैदियों में से कोई भी COVID -19 महामारी से पीड़ित है। इसलिए, बढ़ती उम्र और जेल में भीड़भाड़ के कारण याचिकाकर्ता की यह आशंका कि उसे COVID -19 से संपर्क करने की संभावना है जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, निराधार है। '

1 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोनोवायरस प्रकोप के बीच अंतरिम जमानत देने के लिए उसकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था और उसे दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें उसकी जमानत याचिका लंबित है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च, 2020 को एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति को निर्देश दिया था कि वह उन कैदियों को रिहा करने पर विचार करे, जिन्हें जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए पैरोल पर रिहा किया जा सकता है। 

हालांकि, समिति ने पैरोल देने के लिए मिशेल के मामले पर विचार नहीं किया, जिसके बाद, उसने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

यह कहते हुए कि उसका स्वास्थ्य बेहद गंभीर है, उसने वकील श्रीराम प्रक्कट, विष्णु शंकर और अज्लो जोसेफ के माध्यम से जमानत मांगी। यह भी कहा गया था कि इस तरह के संकट के समय भीड़भाड़ वाली जेलों में निहित होने के कारण आगे चलकर उसे बीमारी का खतरा हो सकता है जो उसके लिए घातक हो सकता है।

दरअसल मिशेल 5 जनवरी, 2019 से न्यायिक हिरासत में है और उसकी नियमित जमानत याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जहां सीबीआई और ईडी ने दावा किया है कि उसे राहत नहीं दी जानी चाहिए,क्योंकि वो प्रभावशाली है और उनकी कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों में मिशेल तीन कथित बिचौलियों में शामिल है। अन्य दो हैं गुइडो हेशके और कार्लो गेरोसा।

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