सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की अदालत की अवमानना के दोषी ठहराए जाने के 2017 के फैसले पर पुनर्विचार याचिका खारिज की

Update: 2020-08-31 06:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या द्वारा मई 2017 के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्हें अदालत के आदेश का उल्लंघन करने पर अपने बच्चों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने चार करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम माल्या के बच्चों के खातों में स्थानांतरित किए जाने के मामले में शराब कारोबारी को अवमानना का दोषी ठहराया था। माल्‍या की ओर से दाखिल यह पुनर्विचार याचिका 9 मई 2017 को शीर्ष अदालत के उस आदेश के खिलाफ थी जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बैंकों के समूह द्वारा दाखिल याचिका पर भगोड़े शराब कारोबारी को अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था। आदेश में कहा गया था कि माल्‍या ने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है।

गौरतलब है कि माल्या ने बंद हो चुकी अपनी एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर के लिए बैंकों से 9600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। साल 2016 में वह भारत से लंदन फरार हो गया था। माल्या पर आरोप है कि उसने जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया । फिलहाल उसके लंदन से प्रत्यर्पण कर वापस लाने की कोशिश की जा रही है और उसे 2019 में भारत सरकार द्वारा 'आर्थिक अपराध भगौड़ा ' घोषित किया जा चुका है। 

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