सुप्रीम कोर्ट ने PM CARES फंड को NDRF में  ट्रांसफर करने की याचिका खारिज की; COVID-19 के लिए नई राष्ट्रीय आपदा योजना की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

SC Dismisses Plea To Transfer PM CARES Funds To NDRF; Says Fresh National Disaster Plan For COVID-19 Not Needed

Update: 2020-08-18 06:36 GMT

PM CARES फंड पर मंज़ूरी की मोहर लगाते  हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वो याचिका खारिज कर दी जिसमें PM CARES फंड से राशि को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि COVID-19 के लिए नए राष्ट्रीय आपदा राहत योजना की कोई आवश्यकता नहीं है और COVID -19 से पहले ही आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी राहत के न्यूनतम मानक पर्याप्त हैं। 

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र NDRF  को फंड ट्रांसफर करने के लिए स्वतंत्र होगा क्योंकि यह उपयुक्त है और व्यक्ति NDRF को दान करने के लिए स्वतंत्र हैं।

पीठ ने निम्नलिखित प्रश्न तैयार किए:

1. क्या भारत संघ COVID 19 की तैयारी के लिए राष्ट्रीय योजना बनाने के लिए बाध्य है?

2. क्या भारत संघ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत न्यूनतम मानक राहत देने के लिए बाध्य है?

3. क्या PM केयर्स में योगदान करने के लिए कोई निषेध है?

4. क्या सभी योगदानों को NDRF में जमा कराया  जाना चाहिए

5. क्या सभी PM केयर्स फंड को 

NDRF को ट्रांसफर किया जाना है।

पीठ ने सवालों के जवाब इस प्रकार दिए:

1) राष्ट्रीय आपदा योजना COVID 19 के लिए पर्याप्त है

2) COVID 19 से पहले निर्धारित राहत के न्यूनतम मानक COVID-19 से निपटने के लिए पर्याप्त हैं

3) केंद्र NDRF का उपयोग कर सकता है।

4) कोई भी संस्था PM CARES फंड में  योगदान करने के लिए निषिद्ध नहीं हो सकती

5) PM CARES फंड  में एकत्रित दान एक चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए है। उन्हें NDRF में ट्रांसफर करने की आवश्यकता नहीं है।

27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमे PM CARES फंड जिसे COVID-19 महामारी से निपटने के लिए स्थापित किया गया है, से सभी फंड राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। 

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कोरोनोवायरस प्रेरित लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा से संबंधित मुकदमे की सुनवाई कर रही थी। 

दरअस सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की ओर से वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका में धारा 11 के तहत एक राष्ट्रीय योजना की स्थापना के लिए, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 10 के साथ पढ़ने के लिए अनुरोध किया गया है, जिससे वर्तमान महामारी से निपटा जा सकते और, डीएमए की धारा 12 के तहत राहत के न्यूनतम मानकों को पूरा किया जा सके।

इसमें यह भी कहा गया था कि "केंद्र को डीएम अधिनियम की धारा 46 के अनुपालन में COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तियों से सभी योगदान या अनुदान सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है है और NDRF की धारा 46 (1) (बी) के तहत PM CARES फंड को उसमें क्रेडिट किया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि अब तक PM CARES फंड में एकत्रित सभी फंड को NDRF में हस्तांतरित करने का निर्देश दिया जा सकता है।

वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के लिए पेश हुए और उन्होंने तर्क दिया कि PM CARES  फंड की स्थापना वास्तव में, एक "संविधान के साथ धोखा" है, जो बिना किसी पारदर्शिता के बनाया गया है।

याचिका में कहा गया था कि NDRF का उपयोग अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य संकट के बावजूद नहीं किया जा रहा है, और PM CARES फंड की स्थापना DM अधिनियम के दायरे से बाहर है।

इसमें पीएम केयर्स फंड के संबंध में पारदर्शिता की कमी के मुद्दे को उठाया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह कैग ऑडिट के अधीन नहीं है और इसे "सार्वजनिक प्राधिकरण" की परिभाषा के तहत आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर घोषित किया गया है।

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