सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौरान वरिष्ठ नागरिकों की उचित देखभाल के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

SC Directs States & UT's To File Detailed Affidavit Stipulating Measures For Elderly Care Amid Pandemic

Update: 2020-09-07 07:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 4 सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि COVID-19 महामारी के बीच अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की उचित देखभाल की जा सके।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अश्विनी कुमार ने अवगत कराया कि 7 राज्यों ने 4 अगस्त को शीर्ष अदालत के निर्देश के संदर्भ में अपना हलफनामा दायर किया है, लेकिन उनके पास विस्तृत विवरण नहीं है।

उन्होंने कहा कि उड़ीसा और पंजाब राज्यों को छोड़कर, रिकॉर्ड पर हलफनामों में विवरण का अभाव है।

कुमार ने कहा, "राज्यों को अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए। अधिकांश राज्यों में केवल सर्रकुलर हैं। सर्रकुलर और कागजी काम कुछ ऐसा नहीं है जो आवश्यक हो। जो आवश्यक है वो ये कि इसे कैसे लागू किया जा रहा है।" 

इसके आलोक में, पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि जिन राज्यों ने पहले से एक हलफनामा दायर किया है, वे अतिरिक्त बेहतर हलफनामा दायर कर सकते हैं।

कुमार ने जमीनी हालात पर सवाल उठाते हुए 3 प्रेस रिपोर्ट पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्थिति वास्तव में "दयनीय" है।

जस्टिस भूषण ने इस बिंदु पर टिप्पणी की कि व्यक्तिगत मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत नहीं लिया जा सकता है और यह राज्य की देखभाल करने के लिए है।

पिछली सुनवाई में , अदालत ने आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके, अकेले रहने वाले बुजुर्गों की देखभाल करने और उनकी रक्षा करने में सरकार के दायित्व को मान्यता दी थी।

इसके लिए, न्यायालय ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वृद्धावस्था पेंशन का भुगतान नियमित और समय पर किया जाए।

इसके अलावा, सभी राज्यों को वरिष्ठ नागरिकों द्वारा किए गए अनुरोधों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए निर्देशित किया गया है, खासकर COVID-19 के इन समयों के दौरान अकेले रहने वाले बुजुर्गों को।

न्यायालय ने इस प्रकार बुजुर्गों को प्रभावी सहायता का आश्वासन देने की आवश्यकता को स्वीकार किया।

आगे की स्थिति का जायजा लेते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा था कि वृद्धावस्था वाले लोगों के घरों में आवश्यक एहतियाती उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। न्यायमूर्ति भूषण ने जोर देकर कहा कि सभी देखभाल करने वालों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट पहनने चाहिए और COVID ​​-19 को लेकर होने वाली स्वच्छता और सावधानियों के बारे में सुरक्षा मानदंडों का पालन करना चाहिए।

बेंच पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की चिंताओं पर प्रकाश डालती है और बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करने की मांग करती है।

पूर्व के केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अश्वनी कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा है कि बुजुर्गों के अधिकारों और सम्मान को सुरक्षित करने के इरादे से बनाई गई सरकारी नीतियों और कानून को पर्याप्त रूप से लागू नहीं किया जा रहा है।

याचिका डॉ कुमार की 2018 की याचिका से संबंधित है जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए मासिक पेंशन बढ़ाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग का गई है।अब महामारी के चलते बुजुर्गों की देखभाल के लिए तत्काल मामले को उठाया गया है। 

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