ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी : सुप्रीम कोर्ट का बैंक को निर्देश, स्कूल को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने एक बैंक को निर्देश दिया है कि वह ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हुए स्कूल को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा दे। इस बैंक के खाते से पैसे फ़र्ज़ी तरीक़े से 30 लाख रुपए निकाल लिए गए थे।
डीएवी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल ने इंडियन बैंक के ख़िलाफ़ उपभोक्ता मंच में शिकायत की थी। स्कूल ने कहा था कि स्कूल के बैंक खाते को स्कूल के प्रिंसिपल के ग्राहक सूचना फ़ाइल (सीआईएफ) से जोड़ दिया गया था जबकि इस खाते के लिए नेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इस वजह से स्कूल के खाते से ₹30 लाख फ़र्ज़ी तरीक़े से निकाल लिए गए।
राज्य आयोग और एनसीडीआरसी ने पाया कि इस संदर्भ में बैंक की सेवा में कमी रही। पर इन दोनों ने बैंक को इस आधार पर सिर्फ़ एक लाख रुपए का मुआवज़ा देने का आदेश दिया कि इसमें बैंक और प्रिंसिपल की मिलीभगत थी। इसके बाद स्कूल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य आयोग, बैंकिंग ओंबुड्समैन और एनसीडीआरसी की इस बात पर ग़ौर किया कि बैंक ने प्रिंसिपल के निजी खाते को स्कूल के खाते से लिंक करके नेट बैंकिंग की सुविधा दे दी।
इस बारे में दायर एफआईआर के संदर्भ में पीठ ने कहा कि पुलिस को इस धोखाधड़ी के मामले में प्रिंसिपल की मिलीभगत का पता नहीं चला है और इसलिए ₹25 लाख तक का मुआवज़ा देने से माना करना उचित नहीं है।
पीठ ने कहा कि जब स्कूल के खाते से ₹25 लाख रुपए निकाले जाने की बात का स्कूल के स्टाफ़ को पहली बात पता चला तो उसी समय आधिकारिक शिकायत नहीं दर्ज की गई और अगली तारिख को बैंक अथॉरिटीज़ से शिकायत दर्ज कराई गई, इसलिए उसने निर्णय किया कि अगले दिन जो अतिरिक्त राशि स्कूल के खाते से निकाली गई उसकी भरपाई नहीं की ज़रूरत नहीं है।
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