अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के जवाब के लिए सुनवाई 14 नवंबर तक टाली
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं और राज्य को 2 संघ शासित प्रदेशों में विभाजन को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 14 नवंबर तक स्थगित कर दी।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा याचिकाओं में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय मांगने पर सुनवाई को टाला और यह साफ कहा कि 28 दिनों में सरकार अपना हलफनामा दाखिल करे और उसके बाद 1 सप्ताह का समय याचिकाकर्ताओ को जवाब देने के लिए दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं का विरोध एवं अदालत का जवाब
हालांकि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से इसका विरोध किया गया और यह कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की अवधि 31 अक्टूबर है और यदि इसे रोका नहीं गया तो ये कभी वापस नहीं हो सकेगा। इस पर पीठ ने यह कहा कि कोर्ट घड़ी को वापस कर सकता है, अगर फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया तो पुरानी स्थिति बहाल कर दी जाएगी ।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाएं
विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर 10 याचिकाएं पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी (जो जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं), पूर्व IAS अधिकारी और जम्मू-कश्मीर के राजनेता शाह फैसल, एक्टिविस्ट शेहला राशिद, कश्मीरी वकील शाकिर शबीर, वकील एम. एल. शर्मा, जेके पीपल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई (एम) के नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी समेत अन्य याचिकाकर्ता शामिल हैं।
कुछ याचिकाओं में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है जिसमें राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है।