सहारा- सेबी विवाद : सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सुब्रत रॉय, अदालत ने पुलिस काफिला हटाने से इनकार किया

Update: 2020-01-24 09:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के रुपये ना लौटाने के मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के साथ पुलिस काफिले को हटाने से फिलहाल इनकार कर दिया है।

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने हालांकि सुब्रत रॉय को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर छूट दे दी है। इस दौरान सहारा प्रमुख भी अदालत में मौजूद रहे।

उनकी ओर से अनुरोध किया गया था कि अदालत दिल्ली पुलिस के एस्कॉर्ट को हटाने के निर्देश जारी करे लेकिन सेबी ने इसका विरोध किया और कहा कि ये व्यवस्था सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए गई है। CJI बोबडे ने कहा कि वो कोई आदेश जारी नहीं कर रहे हैं।

वहीं पीठ ने अमिक्स क्यूरी शेखर नाफड़े को कहा कि वो विभिन्न अर्जियों की व्यवस्थित करें और कोर्ट को सौंपे।

दरअसल 31 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के मुताबिक 25700 करोड़ रुपये जमा ना कराने पर 28 फरवरी को सहारा प्रमुख व दो निदेशकों को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए थे। लेकिन एक साल से केस पर सुनवाई नहीं हुई।

उस दौरान पीठ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश के मुताबिक सहारा को सेबी के खाते में 25700 करोड़ रुपये जमा करने थे लेकिन उन्होंने 15000 करोड़ का मूलधन ही जमा किया है। अगर रॉय ये पैसा नहीं चुकाते हैं तो कानून अपना काम करेगा।

इस दौरान सेबी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कोर्ट को बताया था कि सहारा ने 15000 करोड़ रुपये के मूलधन के अलावा 4800 करोड़ रुपये ब्याज के तौर पर जमा कराया है। हालांकि सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा था कि अभी तक 22000 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।

गौरतलब है कि लगभग दो साल जेल में बिताने वाले रॉय 6 मई 2017 से पैरोल पर हैं। उन्हें पहली बार अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अनुमति दी गई थी और इसके बाद इसे बढ़ाया गया था।

रॉय के अलावा, दो अन्य निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक रॉय चौधरी को समूह की दो कंपनियों - सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (SHICL) की विफलता के लिए गिरफ्तार किया गया था।

17 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा समूह को महाराष्ट्र में एंबी वैली शहर परियोजना में अपनी संपत्तियों का कोई भी हिस्सा चुनकर बेचने और 15 मई तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में रकम जमा करने की अनुमति दी गई थी। बेंच ने समूह से कहा था कि 15 मई तक एंबी वैली के एक पार्सल से संपत्ति बेचकर 750 करोड़ रुपये जमा करें।

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