विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करने के लिए बार परीक्षा में सुधार किया जाए; जूनियर्स चैंबर में प्लेसमेंट पा सकें, इसके लिए सिस्टम विकसित करें: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई को सुझाव दिया

Update: 2022-03-19 09:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर वकीलों की प्रस्तुतियों की सुनवाई की। हाईकोर्ट के फैसले में अन्य नौकरियों से इस्तीफा दिए बिना अधिवक्ता के रूप में नामांकन करने की अनुमति दी गई थी।

पिछले मौके पर कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को बार परीक्षा आयोजित करने के लिए मौजूदा तंत्र पर आत्मनिरीक्षण करने के लिए कहा था, साथ ही उक्त परीक्षा की गुणवत्ता और प्रवेश स्तर पर प्रणाली में सुधार करने के लिए कहा था।

मंगलवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश ने कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता से संबंधित विभिन्न पहलुओं की सुनवाई की। बीसीआई की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एसएन भट्ट ने उसी के संबंध में निर्देश लेने के लिए समय मांगा। बेंच ने बीसीआई को सुनवाई की अगली तारीख यानी 12.04.2022 से पहले ऐसा करने को कहा।

बेंच ने कहा कि पेशे का अभ्यास का अधिकार, जो एक मौलिक अधिकार है, उसको बार काउंसिल की आवश्यकता कि उम्मीदवार बार परीक्षा देने से पहले ही अपने रोजगार से इस्तीफा दे दें, के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है।

यह विचार किया गया कि नौकरी कर रहे उम्मीदवारों को परीक्षा देने के लिए रोल नंबर जारी किया जा सकता है और वे उसके बाद नामांकन प्राप्त कर सकते हैं। यह सुझाव दिया गया था कि बार परीक्षा का परिणाम तीन साल के लिए वैध होगा, जिस अवधि में उम्मीदवार को इस्तीफा देना होगा और एक वकील के रूप में नामांकन करना होगा। यदि वे इन तीन वर्षों के भीतर नामांकन करने में विफल रहते हैं तो उन्हें फिर से बार परीक्षा देनी होगी। एमिकस क्यूरी श्री केवी विश्वनाथन ने सुझाव दिया कि ऐसे उम्मीदवारों के लिए मौखिक परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए।

लॉ कॉलेजों की बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करेगा बीसीआई

बेंच ने सुझाव दिया कि बीसीआई को लॉ कॉलेजों की कड़ी निगरानी करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे परिषद द्वारा निर्धारित मापदंडों को अनुपालन हो रहा है।

यह देखते हुए कि पिछले कुछ वर्षों में कानून संस्थानों में कैस बढ़ोतरी हुई है और जरूरी अध्यापकों की कमी को देखते हुए, यह महसूस किया गया है कि बेहतर जवाबदेही हासिल करने के लिए निगरानी तंत्र को बढ़ाना समय की आवश्यकता है।

विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करने के लिए बार परीक्षा और जानकारी याद रखने की क्षमता नहीं

यह सिफारिश की गई कि जानकारी को याद रखने की क्षमता के बजाय विश्लेषणात्मक कौशल और ज्ञान का परीक्षण करने के लिए परीक्षा तैयार की जा सकती है।

परीक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बेंच ने विचार किया कि बीसीआई द्वारा प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 नकारात्मक अंकन शुरू किया जा सकता है। साथ ही पूरे पेपर के बजाय किसी विशेष खंड के लिए नकारात्मक अंकों का असाइनमेंट शुरू किया जा सकता है। श्री विश्वनाथन ने विभिन्न न्यायालयों में बार परीक्षा की प्रकृति के बारे में पीठ को अवगत कराया।

इनके अलावा बेंच ने बीसीआई को जूनियर्स के लिए चैंबर्स में प्लेसमेंट पाने के लिए एक निष्पक्ष प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया।

केस शीर्षक: बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम ट्विंकल राहुल मंगोनकर और अन्य। 2022 की सिविल अपील संख्या 816-817]


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