विचारधारा या राज्य इस्तेमाल के लिए अपने साथ जोड़ें तो विरोध करें; समाचार में विचारों का मेल एक खतरनाक कॉकटेल: सीजेआई रमाना ने पत्रकारों से कहा

Update: 2021-12-30 10:52 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने कहा मुंबई प्रेस क्लब के रेडइंक पुरस्कारों को प्रदान करते हुए कहा गलाकाट प्रतिस्पर्धा और सोशल मीडिया के विस्तार के युग में पत्रकारों को पर पड़ रहे दबावों के बारे में बात की।

उन्होंने रेखांकित किया कि लोकतंत्र उचित तरीके से कार्य करे, इसलिए प्रेस की स्वतंत्रता आवश्यक है। उन्होंने याद दिलाया कि एक विचारधारा या राज्य द्वारा सहयोजित किए जाने का पत्रकारों को विरोध करना चाहिए।

उन्होंने कहा,

"स्वयं को किसी विचारधारा या राज्य द्वारा इस्तेमाल के ‌लिए सहयोजित होने देना आपदा का नुस्‍खा है। पत्रकार एक मायने में जजों की तरह होते हैं। आप जिस विचारधारा को मानते हैं और जिस विश्वास को आप पसंद करते हैं, उसके बावजूद आपको प्रभावित हुए बिना अपना कर्तव्य करना चाहिए। पूरी और सटीक तस्वीर देने के लिए आपको केवल तथ्यों की रिपोर्ट करनी चाहिए।"

सीजेआई ने कहा कि टकराव की राजनीति और प्रतिस्पर्धी पत्रकारिता का घातक संयोजन लोकतंत्र के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने समाचार में विचरों और पूर्वाग्रहों को शामिल करने पर भी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, "जो तथ्यात्मक रिपोर्ट होनी चाहिए, उसे व्याख्या और विचार अपने रंग में रंग देते हैं। समाचार में विचारों की मिलावट एक खतरनाक कॉकटेल है। आग्रहपूर्ण रिपोर्टिंग की भी इसी से जुड़ी एक समस्या है। खबरों को एक विशेष रंग देने के लिए मनपसंद तथ्यों को ही चुना जाता है। उदाहरण के लिए, भाषण के कुछ हिस्सों का चयन करें,- ज्यादातर संदर्भ से बाहर- एक निश्चित एजेंडे के अनुरूप उसे हाइलाइट करें।"

किसी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करने से पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करें

सीजेआई रमाना ने पत्रकारों को सलाह दी कि जो खुद का बचाव करने की स्थिति में नहीं है, उसके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करें। उन्होंने रेटिंग की दौड़ में सत्यापन से पहले समाचार प्रकाशित करने की प्रवृत्ति के बारे में टिप्पणी की, जिससे गलत रिपोर्टिंग होती है।

उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया कुछ ही सेकंड में उस गलत खबर को फैला देता है। एक बार प्रकाशित होने के बाद इसे वापस लेना मुश्किल होता है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विपरीत, दुर्भाग्य से, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सबसे ज्यादा अपमानजनक और मानहानिकारक चीजें, जो करियर और जीवन को बर्बाद करने की क्षमता रखती हैं, को प्रसारित करने के बाद भी जवाबदेह ठहराना लगभग असंभव है।"

पत्रकार का काम लोकतंत्र का अभिन्न अंग

सीजेआई ने बताया‌ कि उन्होंने पहले पहले पत्रकारिता का पेशा अपनाया था और यह बेहद संतोषजनक पेशा हो सकता है।

उन्होंने कहा, "अक्सर यह कहा जाता है कि कानूनी पेशा एक महान पेशा है। मैं कह सकता हूं कि पत्रकार का काम उतना ही नेक है और लोकतंत्र का अभिन्न स्तंभ है। कानूनी पेशेवर की तरह, एक पत्रकार को भी मजबूत नैतिक फाइबर और नैतिक कम्पास की आवश्यकता होती है। इस पेशे में आपका विवेक ही आपका मार्गदर्शक है।"


उन्होंने रेखांकित किया कि एक कुशल लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निडर प्रेस आवश्यक है और संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता निहित है।

उन्होंने कहा, "प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में निहित एक मूल्यवान और पवित्र अधिकार है। ऐसी स्वतंत्रता के बिना लोकतंत्र के विकास के लिए आवश्यक चर्चा और बहस नहीं हो सकती है। जनता के लिए आवश्यक जानकारी का कोई प्रवाह नहीं हो सकता है और यह एक लोकतंत्र की मांग है।"

मीडिया को प्रेरित हमलों से न्यायपालिका की रक्षा करनी चाहिए

सीजेआई एनवी रमाना ने कहा, "मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि न्यायपालिका एक मजबूत स्तंभ है। सभी बाधाओं के बावजूद, यह संवैधानिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। निर्णयों के बारे में उपदेश देने और न्यायाधीशों को खलनायक बनाने की हालिया प्रवृत्ति पर रोक लगाने की आवश्यकता है। मीडिया को न्यायपालिका में विश्वास होना चाहिए। लोकतंत्र में एक प्रमुख हितधारक के रूप में, मीडिया का कर्तव्य है कि वह न्यायपालिका को बुरी ताकतों द्वारा प्रेरित हमलों से बचाए और उसकी रक्षा करे। हम मिशन लोकतंत्र में और राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने के लिए एक साथ हैं। हमें एक साथ चलना होगा"।

"जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर -2020" पुरस्कार मरणोपरांत रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को प्रदान किया गया, जो इस साल जुलाई में अफगानिस्तान युद्ध में मारे गए थे।


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