धर्मांतरण मामला: कुलपति 'शुआट्स' की अग्रिम जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2023-02-19 01:52 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक धर्मांतरण मामले में सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (पूर्व में इलाहाबाद कृषि संस्थान) के कुलपति (डॉ) राजेंद्र बिहारी लाल द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

फैसला सुनाए जाने तक उन्हें दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देते हुए जस्टिस मंजू रानी चौहान की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस मामले में एफआईआर पिछले साल अप्रैल में हिमांशु दीक्षित द्वारा दायर की गई शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि हिंदू धर्म के लगभग 90 व्यक्तियों को इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, हरिहरगंज, फतेहपुर में उन्हें अनुचित प्रभाव में डालकर, जबरदस्ती और उन्हें धोखा देकर और आसानी से पैसा देने का वादा करके ईसाई धर्म में धर्मांतरण के उद्देश्य से इकट्ठा किया गया है।

इसकी सूचना मिलने पर सरकारी अधिकारी मौके पर पहुंचे और पादरी विजय मसीहा से पूछताछ की, जिन्होंने कथित तौर पर खुलासा किया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से चल रही थी और यह प्रक्रिया 40 दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी।

उन्होंने कथित तौर पर यह भी बताया कि वे मिशन अस्पताल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे हैं और कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसके अनुसरण में, सरकारी अधिकारियों ने 35 व्यक्तियों (एफआईआर में नामित) और 20 अज्ञात व्यक्तियों को हिंदू समुदाय के 90 व्यक्तियों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण में शामिल पाया।

एफआईआर धारा 153A, 506, 420, 467, 468 आईपीसी और उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की धारा-3/5(1) के तहत दर्ज की गई थी।

(डॉ) राजेंद्र बिहारी लाल का नाम एफआईआर में नहीं था, हालांकि, बाद के चरण में उन्हें दो इच्छुक गवाहों और मामले के जांच अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर आवेदक के खिलाफ पक्षपाती होने के कारण फंसाया गया था।

मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए, उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उनकी ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ने कहा कि वह निर्दोष हैं और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि शिकायतकर्ता विश्व हिंदू परिषद में पदाधिकारी है और कुछ सह-आरोपी व्यक्ति पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को ही यह कहा कि दीक्षित (प्रथम शिकायकर्ता/विश्व हिंदू परिषद, फतेहपुर के एक पदाधिकारी) फतेहपुर सामूहिक धर्मांतरण से संबंधित एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम व्यक्ति नहीं हैं, क्योंकि वह पीड़ित व्यक्ति की श्रेणी में नहीं आते हैं। (उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की धारा 4 के अनुसार)।

केस टाइटलः प्रो. (डॉ.) राजेंद्र बिहारी लाल बनाम यूपी राज्य और अन्य, State of UP and Another [CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 CRPC No. - 1348 of 2023]

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