राजस्थान हाईकोर्ट ने ICMR से अस्पतालों को निर्देश देने को कहा, कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को तब तक डिस्चार्ज न करें, जब तक कि वह पूरी तरह ठीक न हो जाए

Update: 2020-03-24 14:22 GMT

महामारी COVID-19 से निपटने के उपाय के तहत स्वत: संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने जनहित याचिका पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के निदेशक से सभी मेडिकल और चिकित्सा एजेंसियों को आवश्यक निर्देश देने को कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को तब तक डिस्चार्ज नहीं किया जाए जब तक कि ब्लड टेस्ट से उनके पूरी तरह से वायरस मुक्त होने की पुष्टि न हो जाए।

COVID-19 (कोरोनावायरस) महामारी के रूप में बताते हुए अधिवक्ता सेहबान नकवी द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर यह जनहित याचिका दर्ज की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की पीठ ने उन कुछ मामलों पर ध्यान दिया जहां संक्रमित व्यक्तियों को संक्रमण मुक्त घोषित करने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई थी और कुछ दिनों के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था जो संक्रमित पाए गए थे।

पीठ ने कहा,

"यह एक बहुत ही जोखिम भरी स्थिति है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्तियों के माध्यम से महामारी कोरोना वायरस (COVID19) का तेजी से प्रसार हो सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए विभिन्न परीक्षण किए जा रहे हैं, लेकिन ब्लड टेस्ट कोरोना वायरस सहित वायरस के संक्रमण का पता लगाने में सबसे अधिक प्रभावी हो सकता है।

इसलिए, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक को इस मुद्दे पर पूरी तरह से विचार करने और सभी चिकित्सा और स्वास्थ्य एजेंसियों को आवश्यक निर्देश पारित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि वे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को तब तक डिस्चार्ज न करें जब तक कि ब्लड टेस्ट से उसके पूरी तरह से वायरस मुक्त होने की पुष्टि न हो जाए। इसी तरह की सावधानियां उन व्यक्तियों के लिए भी अपनाई जा सकती हैं जिन्हें घर में अलग-थलग या संगरोध में रखा जाता है।"

कोर्ट ने ICMR और राज्य सरकार दोनों को निम्नलिखित सुनिश्चित करने के लिए कहा है:

* राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि महामारी की रोकथाम में लगे सभी विभाग नियमित रूप से दैनिक आधार पर स्थिति की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार उचित निर्देश जारी करें।

* किसी भी स्तर पर कोई छोटी चूक नहीं होने देने के लिए निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए क्लोज वॉच और मॉनिटरिंग के लिए एक मल्टी-टीयर तंत्र विकसित किया जाए।

* आवश्यक ड्यूटी में लगे कर्मियों को सक्षम चिकित्सा एजेंसियों द्वारा मान्यता प्राप्त सैनिटाइज़र और अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क प्रदान किए जाएं।

* निकट पर्यवेक्षण द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए है कि ऐसा कोई भी कर्मी अपने चेहरे को मास्क से ढंके बिना ड्यूटी पर न रहे। ड्यूटी पर रहते हुए ऐसे सभी कर्मी एक-दूसरे से कम से कम दो मीटर की दूरी पर रहेंगे।

* सिवाय आकस्मिक और अत्यंत आवश्यक स्थिति के कार्य और बैठक के नाम पर किसी निजी या सार्वजनिक सभा को अनुमति नहीं दी जाएगी। वह भी संबंधित अधिकारियों की पूर्व अनुमति से होगी, लेकिन उस मामले में भी यह कड़ाई से सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नहीं रहेगा और एक दूसरे के साथ दो मीटर की न्यूनतम आवश्यक दूरी बनाए रखी जाएगी।

* किसी भी व्यक्ति को घर से आवश्यक दवाओं की खरीद के लिए या किसी अन्य आकस्मिक उद्देश्य के लिए अपने चेहरे को मास्क के साथ कवर किए बिना बाहर आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

* सरकारी तंत्र लॉक-डाउन और अन्य सावधानियों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए या महामारी को नियंत्रित करने के लिए घोषणा करने के लिए सभी प्रभावी उपाय करेगा।

* सभी उपायों और सावधानियों को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से एक नॉमिनेटेड अधिकारी के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित किया जाएगा, जब तक कि महामारी को नियंत्रण में नहीं लाया जाता है।

अनुपालन रिपोर्ट के लिए अब यह मामला 21 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।


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