'मोदी-चोर' टिप्पणी' - राहुल गांधी ने चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए गलत बयान दिया, इसे सनसनीखेज बनाने के लिए पीएम का नाम लिया : गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2023-07-07 12:40 GMT

'गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मोदी चोर' टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गांधी ने अपने भाषण में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए गलत बयान दिया था और इसमें सनसनी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी लिया।

गांधी के भाषण की सामग्री, जो विवाद के केंद्र में है [" सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों है... "] का अवलोकन करते हुए जस्टिस हेमंत प्रच्छक की पीठ ने यह भी कहा कि गांधी का कृत्य आईपीसी की धारा 171जी के तहत [चुनाव के संबंध में गलत बयान] भी दंडनीय अपराध होगा।

कोर्ट ने कहा,

" ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने माननीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक दल से संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार के चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से, स्पष्ट रूप से सनसनी फैलाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री का नाम सुझाया और फिर आरोपी यहीं नहीं रुका बल्कि उन्होंने आरोप लगाया कि 'सारे चोरों के नाम मोदी ही क्यों है'। इस प्रकार, वर्तमान मामला निश्चित रूप से अपराध की गंभीरता की श्रेणी में आएगा।''

अदालत ने आगे कहा ,

" ...आईपीसी की धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध चुनाव के संबंध में गलत बयान देने के इरादे से किया गया है, जो आईपीसी की धारा 171जी के तहत दंडनीय अपराध है।"

इस संबंध में न्यायालय ने "अपराध की गंभीरता" के संबंध में ट्रायल कोर्ट के आदेश के निष्कर्षों को भी ध्यान में रखा। ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा:

" आरोपी (i) संसद का सदस्य था (ii) राष्ट्रीय स्तर की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और (iii) देश में 50 से अधिक वर्षों तक शासन करने वाली पार्टी का अध्यक्ष था, जो हजारों लोगों को सार्वजनिक भाषण दे रहा था और चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के स्पष्ट इरादे से चुनाव में गलत बयान दिया। "

इसके साथ एकल न्यायाधीश ने सूरत सत्र न्यायालय के 20 अप्रैल के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उस मामले के संबंध में गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था, जिसमें गांधी को 2019 लोक सभा के दौरान उपरोक्त टिप्पणी करके 'मोदी समुदाय' को बदनाम करने का दोषी पाया गया था।

अपने आदेश में न्यायालय ने स्पष्ट निष्कर्ष निकाला कि यदि दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई गई तो राहुल गांधी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि आरोपी का आपराधिक इतिहास एक प्रासंगिक विचार है और गांधी के नाम पर 10 आपराधिक मामले हैं।

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अब राजनीति में शुचिता होना समय की मांग है और लोगों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति होना चाहिए। पीठ ने गांधी के खिलाफ लंबित अन्य शिकायतों पर भी ध्यान दिया, जिसमें वीर सावरकर के पोते द्वारा पुणे कोर्ट में दायर एक शिकायत भी शामिल है । एचसी ने कहा कि कथित भाषण में गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में वीर सावरकर के खिलाफ मानहानि के शब्दों का इस्तेमाल किया था।

उक्त परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने पाया कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने से किसी भी तरह से गांधी के साथ अन्याय नहीं होगा और इसलिए, उसने उनकी पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।

हालांकि, न्यायालय ने संबंधित जिला न्यायाधीश से आपराधिक अपील पर अपनी योग्यता के आधार पर और कानून के अनुसार यथासंभव शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया।

23 मार्च, 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई ताकि वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें।

3 अप्रैल को गांधी ने अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी।

केस टाइटल - राहुल गांधी बनाम पूर्णेश ईश्वरभाई मोदी

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