पंजाब में उग्रवाद के दौरान 8000 से ज्यादा मौत की SIT जांच की याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार, हाईकोर्ट जाने को कहा

Update: 2019-09-03 09:17 GMT

पंजाब में उग्रवाद के दौरान 1984 से 1995 के बीच 8000 से ज्यादा लोगों की मौत और लापता होने का दावा कर मामले की SIT जांच को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।

सोमवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस को कहा कि वो इस याचिका को लेकर हाई कोर्ट जा सकते हैं। इस पर कॉलिन ने कहा कि वो अपनी याचिका वापस ले रहे हैं।

दरअसल एक मानवाधिकार संगठन पंजाब डॉक्यूमेंटेशन एंड एडवोकेसी प्रोजेक्ट (पीडीएपी) और कुछ पीड़ित परिवारों ने याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उन्होंने अंडरकवर जांच में पाया है कि 1984-95 के बीच 8,527 से अधिक पीड़ितों के शवों का गुप्त सामूहिक दाह संस्कार किया गया। दावा किया गया कि उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा गायब कर दिया गया और फिर उनकी हत्या कर दाह संस्कार कर दिया गया।

याचिका में कहा गया कि संगठन ने इन लापता व्यक्तियों में से सैकड़ों लोगों की की पहचान की है। जांच और रिकॉर्ड बताते हैं कि पंजाब पुलिस और सुरक्षा बल ने उनका अपहरण, हत्या और गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ मामलों में एक ही दिन में 18 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। याचिका पंजाब के कुछ 26 जिलों और उप-जिलों में एकत्र की गई जांच और सूचना पर आधारित थी।

जनहित याचिका में कहा गया कि 1,600 गांवों में दस्तावेजों की 10 साल की जांच, 1,200 पुलिस एफआईआर और 150 आरटीआई आवेदनों के बाद एकत्र की गई जानकारी से 8257 पीड़ितों की खोज की गई। इसके लिए 1984 से 95 तक कई श्मशान घाटों से 6,224 डेटा इकट्ठा किए गए।

याचिका में SIT के गठन के साथ- साथ

पंजाब सरकार को सभी मामलों में कानूनी कार्रवाई करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश मांगे गए थे। याचिका में पीड़ित पक्षों के पुनर्वास और संरक्षण देने की मांग भी की गई थी।  

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