प्राइवेट क्लास 12th स्टूडेंट नीट एग्जाम देने के पात्र- एनएमसी ने कहा; सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस एडमिशन की अनुमति दी

Update: 2023-09-05 10:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में 12वीं क्लास पास करने वाले एक उम्मीदवार को नीट (NEET) काउंसलिंग के बाद एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने की अनुमति दी। ऐसा तब हुआ जब नेशनल मेडिकल कमिशन ने न्यायालय को सूचित किया कि नवीनतम ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन (जीएमईआर) 2023 के अनुसार, ऐसे उम्मीदवार नेशनल एडमिशन कम एलिजिबिलिटी टेस्ट (नीट) में उपस्थित होने के लिए पात्र हैं।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कानून के प्रश्न को खुला रखा।

वर्तमान मामले में आवेदक/याचिकाकर्ता को सत्र 2019-2020 में क्लास 11वीं (जीव विज्ञान) में एडमिशन दिया गया था। COVID-19 के कारण वह एग्जाम नहीं दे सकी, इसलिए उसे सत्र 2020-2021 में प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में 12वीं क्लास में एडमिशन दिया गया। इसलिए उसने जीव विज्ञान स्टूडेंट के रूप में सत्र 2019- 2021 में दो साल तक अध्ययन किया।

इसके बाद मध्य प्रदेश मेडिकल शिक्षा संचालक ने निर्देश जारी कर याचिकाकर्ता और अन्य उम्मीदवारों को, जो 10+2 का एग्जाम प्राइवेट छात्र के रूप में पास हुए थे, ग्यारहवीं क्लास की मार्कशीट अपलोड करने का आदेश दिया था। लेकिन याचिकाकर्ता के स्कूल ने प्राइवेट स्टूडेंट्स को ग्यारहवीं क्लास की मार्कशीट जारी नहीं की इसलिए एडमिशन के लिए याचिकाकर्ता/आवेदक की उम्मीदवारी पर विचार नहीं किया गया।

इस स्तर पर यह उल्लेख करने योग्य है कि ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन (जीएमईआर), 1997 के अनुसार, याचिकाकर्ता एमडिशन के लिए पात्र नहीं है। 2017 के संशोधन के बाद पात्रता मानदंड निर्धारित करने वाले रेगुलेशन 4(2)(ए) में प्रॉविसो क्लॉज है। इस क्लॉज में कहा गया कि सभी उम्मीदवारों के लिए "...10+2 में फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायॉलोजी/बायो टेक्नोलॉजी के दो साल के नियमित और निरंतर अध्ययन की आवश्यकता होगी। वहीं जिन उम्मीदवारों ने ओपन स्कूल से या प्राइवेट उम्मीदवार के रूप में 10+2 उत्तीर्ण किया है, वे नेशनल एडमिशन कम एलिजिबिलिटी टेस्ट में बैठने के पात्र नहीं होंगे।

हालांकि, जीएमईआर, 2023 के अनुसार, प्राइवेट उम्मीदवारों के खिलाफ लगी यह बाधा हटा दी गई थी और पात्रता मानदंड अब संशोधित कर दिया गया है:

"11. किसी भी अभ्यर्थी को NEET-UG देने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

ए. जब तक कि वह उस वर्ष की 31 जनवरी को या उससे पहले 17 वर्ष की आयु पूरी न कर ले, जिस वर्ष उम्मीदवार NEET-UG एग्जाम में उपस्थित होगा; और

बी. फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायॉलोजी/बायो टेक्नोलॉजी और अंग्रेजी सब्जेक्ट के साथ 10+2 (या समकक्ष) उत्तीर्ण किया हो।

पिछली दो सुनवाई में नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से पेश वकील गौरव शर्मा ने बेंच को यह स्पष्ट किया और कहा कि याचिकाकर्ता नंबर 1 अब एडमिशन के लिए पात्र होगा।

28 अगस्त, 2023 के अपने आदेश में न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता नंबर 1 को एमबीबीएस कोर्स में सीट के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति केवल इस कारण से नहीं दी गई है, क्योंकि उसके पास किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से 11वीं क्लास पास होने का सर्टिफिकेट नहीं था।

उक्त सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने यह भी कहा कि काउंसलिंग पहले ही हो चुकी है और उसे एक सीट पहले ही आवंटित की जा चुकी है। इसके आधार पर न्यायालय ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता नंबर 1 को जो सीट आवंटित की गई है, उसे वापस नहीं लिया जाएगा।

हालांकि, 29 अगस्त, 2023 को राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि काउंसलिंग में सीट किसी अन्य उम्मीदवार को आवंटित की गई है। इस पर न्यायालय ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता नंबर 1 को पहले ही 07.08.2023 को सीट आवंटित की गई है, इसलिए उसके अंतिम आदेश का पालन करते हुए याचिकाकर्ता को सीट आवंटित की जानी चाहिए और अगले दिन ही एडमिशन दिया जाना चाहिए था।

कोर्ट ने कहा,

“हमारी राय है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 को पहले ही 07.08.2023 को सीट आवंटित कर दी गई और एडमिशन के लिए एकमात्र प्रश्न याचिकाकर्ता की पात्रता से संबंधित मामले की योग्यता है, जिसे वैसे भी कल के आदेश में स्पष्ट किया गया था। इन परिस्थितियों में हमारी राय है कि याचिकाकर्ता को सीट आवंटित की जानी चाहिए और अगले दिन ही एडमिशन दिया जाना चाहिए था।''

आगे बढ़ते हुए कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से पेश वकील गौरव शर्मा को मामले की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई का सुझाव देने का निर्देश दिया। इस बीच न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जिस अभ्यर्थी को एडमिशन दिया गया उसे एडमिशन लेटर जारी किया जाए। उसमें विशेष रूप से उल्लेख होना चाहिए कि एडमिशन इस रिट याचिका के परिणाम के तहत होगा।

उक्त आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य के एडिशनल एडवोकेट जनरल ने 4 सितंबर को अदालत को अवगत कराया कि गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में स्वतंत्रता सेनानी कोटा के तहत एक सीट उपलब्ध है।

तदनुसार, न्यायालय ने आदेश दिया,

"संबंधित अधिकारियों को गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में उपलब्ध सीट याचिकाकर्ता नंबर एक सृष्टि नायक को आवंटित करने का निर्देश दिया जाता है।"

केस टाइटल: सृष्टि नायक और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य, रिट याचिका (सिविल) नंबर 26/2022

4 सितंबर को पारित आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

29 अगस्त को पारित आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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