पुलिस ऑफिसर किसी सरकार के करीबी होते हैं तो सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें परेशानी आती है : सीजेआई रमाना

Update: 2022-03-24 09:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। इसमें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आय से अधिक संपत्ति के आरोपों के तहत दायर एक मामले में अंतरिम जमानत देने से इनकार करने को चुनौती दी गई थी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने टिप्पणी की,

"जमानत का कोई सवाल नहीं, हम नोटिस जारी करेंगे।"

बेंच ने मामले को चार हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आगे टिप्पणी की कि जब पुलिस अधिकारी एक सरकार के साथ अच्छे होते हैं तो सरकार बदलने पर उन्हें 'परेशानी का सामना' करना पड़ता है।

सीजेआई ने कहा,

"ये अधिकारी ... जब आप सरकार के साथ अच्छे होते हैं, फिर जब सरकार बदलती है तो जाहिर तौर पर आपको परेशानी का सामना करना पड़ता है।"

सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा,

'जब सरकारें बदलती हैं तो चीजें बदल जाती हैं।

सीजेआई ने जवाब दिया,

"वे भूल जाते हैं कि उन्होंने क्या किया है?"

सिंह द्वारा उनके खिलाफ जबरन वसूली के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी देश में 'नए चलन' पर तीखी मौखिक टिप्पणी की थी, जहां पुलिस अधिकारी सरकार के करीबी होने के कारण पैसे कमाते हैं और सरकार बदलने के बाद आपराधिक मामलों का सामना करने पर संरक्षण की मांग करते हैं।

सीजेआई ने कहा था,

"आप हर मामले में सुरक्षा नहीं ले सकते! आप आत्मसमर्पण करें। आपने पैसा कमाना शुरू कर दिया, क्योंकि आप सरकार के करीब हैं। यही होता है कि यदि आप सरकार के करीब हैं और इस प्रकार की चीजें करते हैं तो आपको एक दिन इसका भुगतान करना होगा। ठीक यही हो रहा है।"

सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (बी) और 13 (2) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 201, 467 और 471 के तहत अपराध के लिए दर्ज मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है।

अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से दायर वर्तमान विशेष अनुमति याचिका में सिंह ने तर्क दिया कि राज्य की एजेंसी द्वारा पूछताछ समाप्त हो गई, क्योंकि उन्होंने स्वयं उनकी पुलिस हिरासत के लिए कोई विस्तार नहीं मांगा है और निचली अदालत के समक्ष न्यायिक हिरासत की मांग की।

याचिकाकर्ता के अनुसार, हाईकोर्ट ने आक्षेपित आदेश का निर्णय करते हुए "वर्तमान मामले को नियत समय में सूचीबद्ध किया" और वर्तमान समय में सामान्य रूप से उसकी जमानत याचिका की अंतिम सुनवाई तक पहुंचने में काफी अधिक समय लगेगा।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच में उल्लिखित संपत्ति में वह संपत्ति भी शामिल है जब वह स्कूल में पढ़ रहे थे। इसलिए यह दर्शाता है कि प्रतिवादी राज्य एजेंसी ने कितनी लापरवाही से उन्हें झूठा फंसाने के लिए अत्यधिक अराजक तरीके से आगे बढ़े।

अभियोजन का मामला:

अभियोजन का मामला यह है कि सिंह भारतीय पुलिस सेवा के सदस्य हैं और उन्हें मध्य प्रदेश कैडर आवंटित किया गया। विभाजन के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में आवंटित किया गया।

उसके द्वारा जमा की गई आय से अधिक संपत्ति के बारे में जानकारी मिलने पर एक जांच की गई जिसके बाद आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) और 13 (2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

सक्षम न्यायालय से आवश्यक तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद उनके आवास पर तलाशी ली गई। जब्ती की सूची तैयार कर ली गई और मामले की जांच की जा रही है। जांच एजेंसी यानि आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की गई तलाशी व जब्ती प्राप्त सूचना के आधार पर की गई। सूचना की सत्यता पर उचित संतोष के बाद अपराध दर्ज कर लिया गया। जांच के दौरान आईपीसी की धारा 201, 467 और 471 जोड़ी गई।

राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 29 जून को सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

एक जुलाई, 2021 को याचिकाकर्ता के आवास पर पुलिस ने छापा मारा और उन्हें कथित तौर पर याचिकाकर्ता के घर के पीछे एक नाले में कागज के कुछ टुकड़े मिले, जिन्हें बाद में उनके द्वारा कुछ नोटों में पुनर्निर्मित किया गया।

पुनर्निर्मित दस्तावेजों की सामग्री को राज्य सरकार के खिलाफ अवैध प्रतिशोध और घृणा का आरोप लगाया गया। इसके परिणामस्वरूप, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 153 ए के तहत अपराध करने के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई।

मामला : गुरजिंदर पाल सिंह बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य

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