बिहार जज पर पुलिस का हमला : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उप निरीक्षक को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए

Update: 2020-11-26 08:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार के औरंगाबाद में हुई उस घटना की न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका पर दो सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी, जिसमें एक पुलिस उप- निरीक्षक द्वारा जिला न्यायाधीश डॉ दिनेश कुमार प्रधान को कथित तौर पर धमकी दी गई, उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और उनका पीछा किया गया।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट विशाल तिवारी को निर्देश दिया कि वह संबंधित पुलिस अधिकारी को एक पक्षकार बनाए और फिर अदालत का दरवाजा खटखटाए।

तिवारी ने आज अदालत में पेश किया,

"जब भी आम लोगों का संबंध होता है और पुलिस द्वारा हमला किया जाता है, तो वे अधीनस्थ न्यायपालिका से संपर्क करते हैं। यहां, यह अधीनस्थ न्यायपालिका है जिस पर हमला किया गया।"

न्यायमूर्ति खानविलकर ने तिवारी को सूचित किया कि उस अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाया जा रहा है जिसे पक्षकार भी नहीं बनाया गया है,

"पहले अपना रिकॉर्ड सही करो और फिर हमारे पास आओ।"

तदनुसार, याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने और अतिरिक्त दस्तावेज दायर करने का निर्देश दिया गया है। मामला अब दो सप्ताह बाद सुना जाएगा।

21 अक्टूबर को औरंगाबाद में टाउन थाने के प्रणव नाम के एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर द्वारा वरिष्ठ अतिरिक्त जिला जज डॉ प्रधान के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार, धमकी और पीछा किया गया जब वह शाम को टहलने गए थे। उस समय फ्लैग मार्च के लिए अर्धसैनिक बल एसआई के साथ था।

घटना के मद्देनज़र, जज एसोसिएशन ने एक पत्र भारत के सुप्रीम कोर्ट और पटना उच्च न्यायालय को भेजा था, कथित रूप से एक जिला न्यायाधीश से मारपीट करने और डराने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी।

एसोसिएशन ने एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की निंदा की थी और कहा था कि राष्ट्र की पूरी अधीनस्थ न्यायपालिका पर हमले के समान माना जाना चाहिए।

गुजरात के अधीनस्थ न्यायिक बिरादरी की ओर से, हम एसोसिएशन के प्रशासक बिहार पुलिस के औरंगाबाद के जिला न्यायाधीश, श्री डॉ दिनेश प्रधान, के साथ अभूतपूर्व, अनुचित हमले और धमकी की निंदा की और हम राज्य की ओर से न्यायिक अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने में बिहार सरकार की निष्क्रियता की भी निंदा करते हैं।यह केवल डॉ प्रधान के साथ ही मारपीट और अपमान नहीं है, बल्कि देश की पूरी अधीनस्थ न्यायपालिका पर हमला और अपमान है। हम इस मामले में सख्त और तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं।'

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