चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में रखे गए कैदियो को बेहतर सुविधा देने करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2020-06-25 14:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित एक आश्रय गृह में रह रही उन लड़कियों को उचित चिकित्सा उपचार और सुविधाएं प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किया जाएंं जो  COVID 19 पाॅजिटिव पाई गई हैं। यह अर्जी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित उस मामले में दायर की गई है जो तमिलनाडु राज्य के अनाथालय में बच्चों के साथ हो रहे शोषण के संबंधित है।

एमिकस क्यूरी अपर्णा भट् ने यह अर्जी दायर की है। इस घटना के संबंध में आई मीडिया रिपोर्ट पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत संज्ञान लेने के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। उसी के बाद यह अर्जी दायर की गई है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में राज्य द्वारा संचालित एक बाल आश्रय गृह में रह रही 57 नाबालिग लड़कियां COVID 19 पाॅजिटिव पाई गई हैं। इसके अलावा पांच लड़कियां गर्भवती भी पाई गई हैं और एक लड़की एचआईवी पॉजिटिव थी।

इस आवेदन में यह भी मांग की गई है कि इन लड़कियों की स्वास्थ्य स्थिति पर नियमित आधार पर रिपोर्ट दायर की जानी चाहिए। साथ ही केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह सभी बाल कल्याण समितियों को एक एडवाईजरी जारी करें ताकि यह '

' सुनिश्चित हो सके कि नए बच्चों को किसी भी सीसीआई में भर्ती कराने से पहले उनको निर्धारित समय के लिए क्वारंटीन किया जा सके और उसी के बाद सीसीआई में रखा जाए। वहीं इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक संसाधन आवंटित किए जाने चाहिए ताकि इस महामारी की असाधारण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।''

उपरोक्त के अलावा, आवेदन में यह भी मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह तुरंत ऐसे सभी गृहों की पहचान करें,जहां वायरस के प्रसार की संभावना है, ताकि COVID 19 पॉजिटिव पाए गए बच्चों को क्वारंटीन किया जा सकें। वहीं उन बच्चों को भी क्वारंटीन किया जाए जिनके बारे में सारी जानकारी उपलब्ध नहीं है और वह अलक्षणी हो सकते हैं। वहीं यह भी निर्देश जारी किया जाना चाहिए कि सीसीआई में रखने से पहले सभी नए बच्चों का टेस्ट अनिवार्य रूप से करवाया जाए।

आवेदन में यह भी आग्रह किया गया है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि वह प्रत्येक राज्य से सीसीआई में रखे गए बच्चों की स्थिति और उनकी COVID 19 के मामले में की गई तैयारियों पर एक रिपोर्ट मंगवाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्यके सीसीआई व कशोर न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समितियों के कार्यालय में पर्याप्त सुरक्षा किट, मास्क, पीपीई, स्वच्छताग्रही, पानी की आपूर्ति उपलब्ध हो।

प्रतिवादियों को यह भी निर्देश दिया जाए कि वे इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 05 दिसम्बर 2018 को दिए गए आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए एक उचित तंत्र बनाए। साथ ही सीसीआई में रहने वाले बच्चों का केंद्रीकृत डेटा बेस भी तैयार किया जाए।

2018 में यह आदेश एक रिट याचिका में पारित किया गया था जिसमें भारत के संघ को निर्देश दिया गया था कि संस्थानों के प्रबंधन और बच्चों के अधिकारों के संबंध में एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाए। इस रिपोर्ट को आगामी भविष्य के लिए एक योजना या दृष्टि दस्तावेज के रूप उपयोग किया जाना था। हालाँकि आवेदन में तर्क दिया गया है कि उस आदेश का अभी तक पालन नहीं हुआ है। जबकि आदेश को पारित किए हुए 18 महीने से ज्यादा का समय हो गया है।

''इस बीच देश भर के कई चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस ( सीसीआई ) में रखे गए बच्चों के साथ खराब व्यवहार और उनके शोषण की सूचनाएं सामने आई हैं।''

यह भी दलील दी गई है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ' Re: बाल संरक्षण गृहों में COVID 19 वायरस का संसर्ग' नामक मामले में 3 अप्रैल 2020 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोर्ड, सीसीआई व सरकार को Covid19 के संबंध में कुछ जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया गया था परंतु अभी तक उन निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया है।

11 जून 2020 को, सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई के रॉयपुरम में स्थित एक प्रोटेक्शन होम में रखे गए 35 बच्चों के COVID 19 से संक्रमित पाने के मामले में स्वत संज्ञान लिया था। न्यायालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, तमिलनाडु और समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया था कि वह राज्य के अन्य संरक्षण गृहों में रखे गए बच्चों के स्वास्थ्य और उनमें फैले वायरस के प्रसार के संबंध में एक रिपोर्ट पेश करें। वहीं सभी राज्यों को भी निर्देश दिया गया था कि कोर्ट में आदेश में उपलब्ध कराए गए प्रारूप के अनुसार विवरण तैयार करें ताकि बेहतर रिपोर्ट तैयार हो सकें।

'' उपरोक्त घटनाओं से यह स्पष्ट है कि भले ही इस संबंध में 3 अप्रैल 2020 को आदेश पारित कर दिया गया था। उसके बावजूद यह पहला मामला नहीं है,जबकि सीसीआई में रखे गए बच्चे COVID 19 पॉजिटिव पाए गए हैं। इस तरह के कम से कम के दो मामले सामने आ चुके है,जिनमें सीसीई में रखे गए बच्चे पाॅजिटिव पाए गए हैं।

सीसीआई में COVID 19 का प्रसार,इन संस्थानों में रखे गए बच्चों की संख्या को देखते हुए एक गंभीर खतरा है। अभी कानपुर के शेल्टर होम के संबंध में एनएचआरसी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। परंतु इस समय यह महत्वपूर्ण है कि अन्य सीसीआई में इस तरह के मामलों को रोकने के लिए पहले से ही जरूरी कदम उठा लिए जाएं।''

आवेदन में तर्क दिया गया है कि ''राज्य की संस्थाओं में बच्चों के कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों व जिन परिस्थितियों में बच्चों को रखा जा रहा है,उनमें कई गंभीर खामियां हैं। इसी के साथ यह भी स्पष्ट है कि ''वर्तमान में इस महामारी के कारण सामने आई चुनौतियों को देखते हुए सीसीआई में रखे गए बच्चों के अधिकार खतरे में हैं और कम से कम एक अच्छे प्रबंधन प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।''

उपर्युक्त मामले को देखते हुए यह आवेदन दायर किया गया है ताकि कानपुर में पाॅजिटिव पाई गई लड़कियों को तुरंत चिकित्सा उपचार और उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। वहीं इन संस्थाओं के लिए अन्य निर्देश जारी करने का सुझाव भी दिया गया है। 

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