अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली निवासियों का उपचार करने के मामले में जारी दिल्ली सरकार के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती

Update: 2020-06-08 10:04 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें राज्य के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में इलाज को प्रतिबंधित करते हुए सिर्फ दिल्ली निवासियों का इलाज करने की बात कही गई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने यह याचिका दायर की है। जो मूलतः यूपी और बिहार के निवासी हैं। याचिका में तर्क दिया गया है कि इस फैसले से दिल्ली में रहने वाले उन लोगों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा,जिनके पास दिल्ली के निवास का प्रमाण नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का उक्त आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता में कहा गया है कि यह आदेश न तो समझदारी से लिया गया है और न ही उस उद्देश्य को पूरा करता है जो दिल्ली में COVID19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए लिया जाना चाहिए।

यह भी तर्क दिया गया है कि उक्त आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 का भी उल्लंघन है क्योंकि यह महामारी के समय में निवासियों को राज्य से बाहर जाने के लिए मजबूर कर रहा है।

याचिका में कहा गया है कि

''सरकार द्वारा जारी यह अधिसूचना वर्तमान महामारी में केवल उपचार के लिए ही व्यक्तियों में भेदभाव नहीं कर रही है, बल्कि इसके विपरीत यह COVID के मामलों में वृद्धि भी करेगी। क्योंकि संक्रमित व्यक्तियों की पहचान नहीं हो पाएगी, जो आग में ईंधन ड़ालने का काम करेंगे।''

इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने कहा है कि उक्त आदेश निजी अस्पतालों में बिस्तर बेचने के कुप्रभाव को बढ़ावा दे सकता है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस समय दिल्ली में यह चल रहा है।

यह आदेश रविवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, जीएनसीटीडी के सचिव द्वारा जारी किया गया था। जो महामारी रोग अधिनियम, 1897 और दिल्ली महामारी रोग, COVID19 विनियम 2020 के तहत मिली शक्तियों को लागू करते हुए जारी किया था।

दिल्ली में बढ़ रहे COVID19 सकारात्मक मामलों की वृद्धि के कारण अस्पतालों में बढ़ रही बिस्तरों की अतिरिक्त मांग का हवाला देते हुए स्वास्थ्य सचिव ने आदेश दिया था कि, ''दिल्ली सरकार के तहत काम करने वाले सभी अस्पताल और सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम यह सुनिश्चित करें कि इन अस्पतालों में इलाज के लिए सिर्फ दिल्ली के मूल निवासियों को ही भर्ती किया जाए।''

हालांकि, इन अस्पतालों में प्रत्यारोपण, ऑन्कोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, सड़क दुर्घटना के मामलों के लिए उपचार और दिल्ली के अंदर होने वाले एसिड अटैक के मामलों के रोगियों का इलाज किया जाएगा,भले ही उनके पास दिल्ली के निवास स्थान का प्रमाण हो या ना हो।  

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