पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित तौर पर अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए गए एमबीबीएस छात्रों की परीक्षा रद्द करने के एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द किया

Update: 2023-12-11 15:00 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एकल न्यायाधीश के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें हरियाणा के रोहतक में एक विश्वविद्यालय द्वारा कथित तौर पर अनुचित साधनों का उपयोग करते पाए जाने पर एमबीबीएस छात्रों के पूरे शैक्षणिक वर्ष को रद्द करने को बरकरार रखा गया था।

जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने कहा, "हम बिना किसी हिचकिचाहट के यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उनकी पूरी एमबीबीएस परीक्षा रद्द करने से पहले अपीलकर्ताओं को अपना बचाव करने का उचित अवसर नहीं दिया गया, जो न केवल विश्वविद्यालय (पं भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक) के कैलेंडर के अध्यादेश 4 के खंड 7 का उल्लंघन करता है, बल्‍कि ऑडी अल्टरम पार्टम का नियम का उल्लंघन भी है।"

इसने आगे कहा कि विश्वविद्यालय के आक्षेपित निर्णय भी बिना किसी कारण के त्रुटिपूर्ण हैं। दरअसल अपीलकर्ताओं की परीक्षा रद्द करने का विश्वविद्यालय का निर्णय एक घोषणा के रूप में है। विश्वविद्यालय के जिन आदेशों पर अपीलकर्ताओं ने आपत्ति जताई है, उनका असर उनके पूरे शैक्षणिक जीवन पर पड़ेगा। ऐसे निर्णयों के लिए कारण न बताना कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।

हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ लेटर पेटेंट अपील (एलपीए) पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की गईं, जिसमें कथित तौर पर अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए गए एमबीबीएस छात्रों के लिए पूरी परीक्षा रद्द करने के विश्वविद्यालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

यह आरोप लगाया गया था कि मेडिकल छात्र एमबीबीएस डिग्री के प्रथम वर्ष में उपस्थित होने के लिए अनुमति दिए गए परीक्षा केंद्र पर अनुचित साधनों का उपयोग कर रहे थे। विश्वविद्यालय की अनुचित साधन मामलों की स्थायी समिति (यूएमसी) ने अपीलकर्ताओं की संपूर्ण एमबीबीएस परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया।

एकल न्यायाधीश के समक्ष कार्यवाही

एकल न्यायाधीश ने कहा कि, "परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग न केवल अनैतिक है, बल्कि व्यक्तियों और पूरे राष्ट्र के समग्र विकास के लिए भी हानिकारक है। एमबीबीएस छात्र, जो चिकित्सा में अपना करियर बना रहे हैं, उनसे उनके पेशे की आलोचनात्मक प्रकृति के कारण नैतिक मानक के उच्चतम नियमों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। "

इसने याचिकाकर्ता के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि छात्रों को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था।

लेटर पेटेंट अपील में कार्यवाही

हालांकि, खंडपीठ ने यह कहते हुए निर्णय को रद्द कर दिया कि वर्तमान मामला "सामूहिक नकल का मामला नहीं है" या जहां पूरी परीक्षा प्रक्रिया दूषित हो गई थी। मौजूदा मामले के तथ्यों को देखते हुए जांच कराना भी अव्यावहारिक नहीं था। इसलिए, अपीलकर्ताओं की एमबीबीएस फर्स्ट प्रोफेशनल परीक्षा को अनुचित साधनों में शामिल होने के आधार पर रद्द करने से पहले ऑडी अल्टरम पार्टम के नियम का पालन करना आवश्यक था।

परीक्षा रद्द करने के यूएमसी के फैसले पर गौर करते हुए, इसने नोट किया कि "अपीलकर्ताओं की संपूर्ण एमबीबीएस प्रथम व्यावसायिक परीक्षा को रद्द करना एक घोषणा के रूप में है।"

"यह इस बात का खुलासा नहीं करता है कि क्या कार्यवाही हुई... जिससे यूएमसी समिति की घोषणा हुई। इसमें कोई कारण भी नहीं है जिस पर ऐसी घोषणा आधारित थी। घोषणा में यह भी नहीं बताया गया है कि अपीलकर्ताओं की पूरी एमबीबीएस पहली व्यावसायिक परीक्षा तब रद्द कर दी गई थी, जब कथित अनियमितताएं केवल बायोकैमिस्ट्री विषय में 17.02.2023 को आयोजित परीक्षा के संबंध में थीं।''

न्यायालय ने फैसले को बरकरार रखने के लिए एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए उस आधार को भी खारिज कर दिया कि न्यायाधीश ने स्वयं "सीसीटीवी फुटेज" देखा था।

इसमें कहा गया है, "यहां तक कि अगर सीसीटीवी फुटेज में सभी छात्रों के चेहरे आसानी से पहचाने जा सकते हैं, तो प्रत्येक अपीलकर्ता की सटीक भूमिका, यदि कोई हो, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद अधिकारियों द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए।"

उक्त टिप्पण‌ियों के साथ कोर्ट ने सिंगल जज के फैसले को रद्द कर दिया।

केस टाइटलः शिवम तंवर और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

साइटेशनः 2023 लाइव लॉ (पीएच) 267


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