सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद पटना हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ विभागीय कार्यवाही रद्द की

Update: 2022-08-13 13:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट के हालिया सुझाव के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय के खिलाफ सभी विभागीय कार्यवाही रद्द करते हुए निलंबन आदेश वापस ले लिया।

न्यायाधीश राय को पहले उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की रोकथाम अधिनियम, 2012 (POCSO)से संबंधित मामलों में कुछ दिनों के भीतर निर्णय देने लिए निलंबित कर दिया था।

इस आशय का पटना हाईकोर्ट के कानूनी प्रकोष्ठ द्वारा पारित प्रशासनिक आदेश इस प्रकार है,

" शशि कांत राय बनाम पटना हाईकोर्ट और अन्य W.P (C) 557/2022 में दिनांक 08.08.2022 को भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम एडवोकेट श्री गौरव अग्रवाल से दिनांक 08.08.2022 को प्राप्त संचार पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने श्री शशिकांत राय विशेष न्यायाधीश पोक्सो-सह-अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश VI अररिया के खिलाफ सभी विभागीय कार्यवाही को समाप्त कर दी है।"

 निलंबन को वापस लेने का आदेश इस प्रकार है,

" श्री शशिकांत राय विशेष न्यायाधीश पोक्सो-सह-अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश VI अररिया के विरुद्ध पारित निलम्बन का आदेश, जो न्यायालय के ज्ञापन क्रमांक 7834, दिनांक 08.02.2022 के तहत जारी किया गया था और न्यायालय के ज्ञापन संख्या 47103 दिनांक 05.08.2022 के तहत जारी निलंबन के नवीनीकरण के आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिये जाते हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाईकोर्ट से निलंबित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के खिलाफ शुरू की गई सभी अनुशासनात्मक कार्यवाही को वापस लेने का आग्रह किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,

"हमारी ईमानदारी से सलाह है कि सब कुछ छोड़ दें। अगर आप नहीं चाहते हैं तो हम इसकी तह तक जाएंगे। जब तक आप भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा रहे हैं, तब तक कुछ स्पष्ट होना चाहिए .....वह केवल अपने आदेशों का पालन कर रहे हैं, यह उनके खिलाफ बेहद अनुचित है।"

यह सुनकर हाईकोर्ट की ओर से पेश एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कहा कि वह इसकी जानकारी हाईकोर्ट को देंगे।

पीठ बिहार के एक निलंबित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हाईकोर्ट द्वारा पॉक्सो मामलों को कुछ ही दिनों दिनों के भीतर तय करने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई। जज ने पॉक्सो मामले में एक दिन के भीतर एक मुकदमे में एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, बच्ची से रेप के एक अन्य मामले में जज ने 4 दिन के अंदर ट्रायल पूरा करने के बाद एक शख्स को मौत की सजा सुनाई थी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बेंच ने आगे कहा कि दंडित करने के लिए अति उत्साह नहीं होना चाहिए क्योंकि यह अन्य न्यायिक अधिकारियों को एक खराब संदेश भेजेगा जो अपने आचरण में कुशल हैं।

जस्टिस ललित ने यह भी कहा था कि याचिकाकर्ता न्यायाधीश के फैसले अच्छी तरह से लिखे गए हैं।

केस टाइटल: शशि कांत बनाम एचसी ऑफ ज्यूडिकेचर, पटना| डब्ल्यूपी (सी) 557/2022

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