पालघर लिंचिंग केस- 'जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने में कोई आपत्ति नहीं': महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि उसे 2020 के पालघर लिंचिंग मामले (Palghar Lynching Case) को सीबीआई (CBI) को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है।
दो हिंदू संतों, महाराज कल्पवृक्ष गिरि @ चिकना बाबा और सुशील गिरि महाराज को अप्रैल 2020 में पालघर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।
दोनों साधु मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे, जब उनकी कार को 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने रोका। इसके बाद भीड़ ने कार को उलट दिया और पथराव किया, जिसके परिणामस्वरूप कार के चालक और साधु दोनों की मौत हो गई।
जून 2020 में पंच दशाबन जूना अखाड़े के हिंदू साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने इस मामले की जांच कर रहे राज्य के अधिकारियों द्वारा पक्षपात का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
उन्होंने मामले में सीबीआई/एनआईए जांच की मांग की और तदनुसार, महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र डीजीपी, केंद्र सरकार, एनआईए और सीबीआई को नोटिस जारी किए गए थे।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने याचिका का विरोध किया था और 28 अगस्त, 2020 को इस मामले में आरोप पत्र दायर किया था। इसने विभागीय जांच के माध्यम से दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।
अब अपना रुख बदलते हुए डीजीपी मुंबई के कार्यालय ने 11 अक्टूबर को एक हलफनामे में कहा,
"महाराष्ट्र राज्य सीआर नंबर 76/2020 और सीआर नंबर 77/2020 में जांच सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार है और इसमें कोई आपत्ति नहीं है।"
आपको बता दें, एडवोकेट आशुतोष दुबे ने 23 सिंतबर को इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।