सुप्रीम कोर्ट का मद्रास हाईकोर्ट से 'आग्रह' : हमारे आदेश का अक्षरश: पालन हो
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा उसके आदेश पर अमल न किये जाने के तथ्यों का संज्ञान लेते हुए कहा है, "हम हाईकोर्ट से आग्रह करते हैँ कि वह हमारे आदेश का पालन अक्षरश: करे।"
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब उसे यह पता चला कि एक रिट याचिका को निर्धारित समय के भीतर निपटाने के उसके आदेश पर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा अमल नहीं किया गया।
एम जी सरवनन ने एक स्कूल के निकट पेट्रोल पम्प स्थापित किये जाने के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि तमिलनाडु सरकार के आदेश के अनुसार, स्कूल के 100 मीटर के दायरे में पेट्रोलियम आउटलेट स्थापित करना निषिद्ध है। हाईकोर्ट ने पहले यथास्थिति बनाये रखने का अंतरिम आदेश जारी किया था, लेकिन बाद में कुछ प्रतिवादियों का पक्ष सुनने के बाद बगैर कोई कारण दिये अपना आदेश वापस ले लिया था।
अंतरिम आदेश को वापस लेने के खिलाफ सरवनन की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) जब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए आयी थी, तब उसने (शीर्ष अदालत ने) यह मामला दो सप्ताह के भीतर निपटाने का हाईकोर्ट से अनुरोध किया था।
इससे संबंधित एक अर्जी दो माह से अधिक समय के बाद जब फिर से सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आयी तो न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने इस बात का उल्लेख किया कि संबंधित मामला हाईकोर्ट की मदुरै और मद्रास पीठ के बीच लटक रहा है। इसलिए बेंच ने अपने आदेश में कहा :
"हमने 18 जून 2020 को मद्रास हाईकोर्ट को इस मामले का निपटारा दो सप्ताह के भीतर करने का आदेश दिया था, इस तथ्य के बावजूद दुर्भाग्यवश, इस आदेश पर अमल नहीं किया जा सका, क्योंकि यह मामला मदुरै और मद्रास पीठ के बीच झूलता रहा। इसलिए, मदुरै पीठ से आग्रह है कि वह इस मामले की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करे और इसे यथाशीघ्र निपटाये।"