NRC : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, भारत को शरणार्थियों की राजधानी नहीं बनाया जा सकता, सुनवाई 23 जुलाई को

Update: 2019-07-19 08:47 GMT

केंद्र और असम सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को (NRC) अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समय सीमा को बढ़ाने का अनुरोध किया।

दोनों सरकारों की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ के सामने यह प्रस्तुत किया कि NRC ड्राफ्ट में बहुत सारे गलत प्रवेश हुए हैं और गलत तरीके से बाहर भी किया गया है। बांग्लादेश की सीमा से लगे असम के जिलों में रहने वाले व्यक्तियों के समावेश का कम से कम 20% नमूनो का पुनः सत्यापन आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में गलत तरीके से नाम शामिल करने की सूची काफी विस्तृत है। सॉलिसिटर जनरल ने यह कहा कि, "भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं हो सकता।"

हालांकि NRC समन्वयक प्रतीक हजेला ने यह दावा किया कि लगभग 27 लाख दावों के साथ लगभग 80 लाख लोगों का फिर से सत्यापन किया गया है। इस पृष्ठभूमि में पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या आगे पुन: सत्यापन की आवश्यकता है?

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल को कहा कि वो NRC समन्वयक की रिपोर्ट का जवाब दें और फिर मामले को 23 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इस दौरान NRC समन्वयक ने यह भी बताया कि NRC प्रक्रिया ने असम में हाल ही में आई बाढ़ ने भी कार्रवाई को अवरुद्ध किया है। इसलिए हालात को देखते हुए NRC की डेडलाइन को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त किया जाना चाहिए।

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