घरेलू टैरिफ क्षेत्र से SEZ में ट्रांसफर पर कोई निर्यात शुल्क नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पावर के खिलाफ अपील खारिज की
यह देखते हुए कि घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) तक माल की आवाजाही एक घरेलू आपूर्ति है, न कि भारत के बाहर निर्यात, सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पावर लिमिटेड और अन्य संस्थाओं को DTA से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) तक माल की आवाजाही के लिए कस्टम एक्ट, 1962 के तहत निर्यात शुल्क के भुगतान से राहत प्रदान की।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ भारत सरकार की अपील खारिज की, जिसमें कहा गया था कि घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) तक माल की आवाजाही पर निर्यात शुल्क नहीं लगाया जा सकता। हाईकोर्ट ने माना था कि यह एक घरेलू आपूर्ति है, न कि भारत के बाहर निर्यात, इसलिए इसे निर्यात शुल्क के भुगतान से छूट दी गई।
केंद्र सरकार ने DTA से SEZ को आपूर्ति किए गए माल पर यह तर्क देते हुए निर्यात शुल्क लगाया कि यह लेनदेन कस्टम एक्ट की "निर्यात" की परिभाषा के अंतर्गत आता है, जिसका सीधा अर्थ है "भारत से बाहर किसी स्थान पर ले जाना"। राजस्व अधिकारियों ने तर्क दिया कि चूंकि SEZ को व्यापारिक गतिविधियों के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाता है, इसलिए उन्हें की गई कोई भी आपूर्ति "निर्यात" मानी जाएगी। हालांकि, कंपनियों ने SEZ Act, 2005 के अंतर्गत "निर्यात" की विशिष्ट और व्यापक परिभाषा का हवाला देते हुए इसे चुनौती दी, जिसमें स्पष्ट रूप से तीन प्रकार के लेनदेन शामिल हैं, जिनमें "घरेलू टैरिफ क्षेत्र से किसी इकाई या डेवलपर को माल की आपूर्ति" शामिल है।
अदालत ने विभिन्न हाईकोर्ट द्वारा अपनाए गए तर्क की पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि SEZ Act आत्मनिर्भर कानूनी ढांचा बनाता है, जहां DTA से SEZ तक माल की आवाजाही को उस अधिनियम के तहत अधिकारों और लाभों के प्रयोजनों के लिए "निर्यात" के रूप में परिभाषित किया गया। हालांकि, यह भारत से बाहर का "निर्यात" नहीं है जो सीमा शुल्क अधिनियम के तहत शुल्क लगाएगा।
अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट के इस विचार से सहमति व्यक्त की कि ऐसे घरेलू स्थानांतरणों पर निर्यात शुल्क लगाना विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के मूल उद्देश्य के विपरीत होगा, जिन्हें भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुल्क-मुक्त परिक्षेत्रों के रूप में डिज़ाइन किया गया।
अपने फैसले में गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था:
"उपरोक्त चर्चा और प्राप्त निष्कर्षों तथा निकाले गए निष्कर्षों के मद्देनजर, घरेलू टैरिफ क्षेत्र से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SZ) में आपूर्ति की गई वस्तुओं पर निर्यात शुल्क लगाना उचित नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ताओं को घरेलू टैरिफ क्षेत्र से विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों या विकासों में माल की आवाजाही पर निर्यात शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।"
अदालत ने कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 12 और विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 की धारा 2(m) की जांच की और पाया कि धारा 12 वह शुल्क प्रावधान है, जो केवल भारत से बाहर भौतिक रूप से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर निर्यात शुल्क लगाता है। जबकि SEZ Act की धारा 2(एम) घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) से विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) तक माल की आवाजाही को "निर्यात" मानती है, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह काल्पनिक धारणा केवल SEZ योजना के तहत लाभ प्रदान करने के लिए लागू होती है, निर्यात शुल्क लगाने के लिए नहीं। चूंकि शुल्क लगाने का अधिकार केवल कस्टम एक्ट की धारा 12 से प्राप्त होता है, इसलिए DTA से SEZ तक के हस्तांतरण पर निर्यात के रूप में कर नहीं लगाया जा सकता।
अदालत ने कहा,
"उपरोक्त प्रावधानों के संयुक्त अध्ययन से हम पाते हैं कि कस्टम एक्ट, 1962 की धारा 12 ही कर लगाने वाली धारा है। हालांकि, SEZ Act की धारा 26 के तहत, यदि कस्टम एक्ट, 1962 के प्रावधानों के तहत टैक्स लगाने वाली धाराओं के अनुसार कोई शुल्क लगाया जा सकता है, तो छूट या रियायत देने का अधिकार सुरक्षित है।"
तदनुसार, अपीलें खारिज कर दी गईं।
Cause Title: UNION OF INDIA THROUGH SECRETARY & OTHER VERSUS M/S ADANI POWER LTD.