निर्भया मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता पवन की नाबालिग होने का दावा करने वाली याचिका खारिज की
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजायाफ्ता पवन गुप्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने दावा किया था कि 2012 में जब ये घटना हुई तब वो नाबालिग था।
जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिका में कोई आधार नहीं मिला है। इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और जुलाई 2018 में पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है। इसलिए बार-बार इस मामले में याचिका को अनुमति नहीं दी जा सकती।
वहीं सुनवाई के दौरान पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा कि 2017 का जिला अंबेडकरनगर के स्कूल का दस्तावेज बताता है कि पवन की जन्म तारीख 8 अक्तूबर 1996 है। दिल्ली पुलिस ने ये तथ्य जानबूझकर अदालत से छिपाया। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया। ये सब मीडिया और जनता के दबाव में हुआ।
वहीं पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पुलिस ने जनवरी 2013 में आयु परीक्षण प्रमाण पत्र लगाया था और उसके मां- पिता ने भी इसकी पुष्टि की थी। दोषी ने कभी भी इस पर विवाद नहीं किया। बार- बार दोषी को याचिका दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पीठ ने भी कहा कि जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका में इस मुद्दे को खारिज कर दिया था। 2013 में ट्रायल कोर्ट और इसके बाद हाईकोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया था।
खुद को नाबालिग बताते हुए याचिका दायर की थी
दरअसल निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा से बचने के लिए दोषी पवन गुप्ता ने खुद को नाबालिग बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दरअसल पवन गुप्ता का दावा था कि वारदात के वक्त वह नाबालिग था।
सुप्रीम कोर्ट के सामने पवन ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें वारदात के वक्त उसके नाबालिग होने की दलील को खारिज कर दिया गया था। दोषी ने अपनी याचिका में कहा है कि 16 दिसंबर, 2012 को अपराध के वक्त वह नाबालिग था।
उसने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी लेकिन उसे राहत नहीं मिली और याचिका खारिज कर दी गई। पवन ने दलील दी कि उम्र का पता लगाने के लिए अधिकारियों ने उसकी हड्डियों की जांच नहीं की थी। उसने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि उसका मामला किशोर न्यायालय में चलाया जाए।
साथ ही पवन ने याचिका में एक फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की है। मालूम हो कि पवन और अक्षय ने अब तक क्यूरेटिव याचिका नहीं दायर की है। जबकि विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिकाएं खारिज हो चुकी है। मुकेश की तो दया याचिका भी खारिज हो चुकी है।
पवन के एपी सिंह को दिल्ली बार काउंसिल ने नोटिस जारी किया है। पवन की 2012 में वारदात के वक्त नाबालिग होने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के जज सुरेश कुमार कैत ने खारिज कर दी थी।
उस वक्त कोर्ट ने यह भी ध्यान दिलाया था कि अदालत के बार-बार समन देने के बावजूद एपी सिंह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। इस पर कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को एपी सिंह के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए और साथ ही उन पर 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। बार काउंसिल ने उनसे दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।