निर्भया गैंगरेप : मौत की सजायाफ्ता मुकेश ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

Update: 2020-01-25 10:32 GMT

2012 निर्भया गैंगरेप केस में मौत की सजायाफ्ता मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने जल्दबाज़ी में उसका दया याचिका पर फैसला लिया है और उन्होंने उसके तथ्यों पर विचार नहीं किया है। इसके साथ ही उसे तिहाड़ जेल की काल कोठरी से बाहर निकालने के निर्देश भी मांगे गए हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने मुकेश की दया याचिका को 17 जनवरी को खारिज कर दिया था और इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी के लिए जारी डेथ वारंट रद्द करते हुए एक फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी के लिए नया डेथ वारंट जारी किया था।

फिलहाल दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका भी दाखिल नहीं है जबकि मुकेश के अलावा तीन दोषियों विनय, अक्षय और पवन ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका नहीं लगाई है। दो दोषियों की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

दरअसल 5 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मुकेश, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन की फांसी की सजा को बरकरार रखा था।

इसके बाद 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उनकी फांसी की सजा बरकरार रखी जबकि चौथे दोषी अक्षय की 18 दिसंबर 2019 को पुनर्विचार याचिका खारिज की गई।

16 दिसंबर 2012 की रात को पांच लोगों ने एक नाबालिग के साथ मिलकर बस में 23 साल की फिजियोथैरेपिस्ट के साथ बलात्कार किया और उसके साथ उसके दोस्त की लोहे की रॉड से पिटाई की। फिर दोनों को बस से धक्का दे दिया गया। पीडिता का नाम निर्भया रखा गया और दो हफ्ते बाद उसने दम तोड दिया। इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जहां एक ने तिहाड जेल में खुदकुशी कर ली। नाबालिग को 31 अगस्त 2013 को तीन साल के लिए सुधारगृह भेजा गया और दिसंबर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया। 

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