एनडीपीएस ट्रायल में स्वतंत्र गवाहों से पूछताछ न होने का मतलब यह नहीं है कि अभियुक्त को गलत तरीके से फंसाया गयाः सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-01-07 05:31 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट के तहत एक मुकदमे में, केवल इसलिए कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की है, से जरूरी नहीं कि यह निष्कर्ष निकले कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है।

इस मामले में सुरिंदर कुमार को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट की धारा 18 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दोष सिद्ध होने की पुष्टि की थी।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपील में दलील दी गई कि किसी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की गई, जबकि वे उपलब्‍ध थे। सुनवाई में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्ट‌िस बीआर गवई की बेंच ने जरनैल सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले का हवाला दिया और कहा:

"पूर्वोक्त निर्णय में, इस कोर्ट ने यह दावा किया था कि केवल इसलिए कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी स्वतंत्र गवाह की जांच नहीं की, जरूरी नहीं कि यह निष्कर्ष निकले कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है। आधिकारिक गवाहों के सबूतों को, केवल इस बिनाह पर कि से आधिकार‌िक हैं, गैर-भरोसे का और झूठा नहीं माना सकता है। "

बेंच ने कहा कि मुखबिर और जांचकर्ता एक ही व्यक्ति नहीं हो सकते:

"विद्वान वकील ने अपनी दलील को पुख्ता करने के लिए मोहन लाल के मामले में इस कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि मुखबिर और जांचकर्ता एक ही व्यक्ति नहीं हो सकते हैं। लेकिन बाद के वरिंदर कुमार के मामले में दिए फैसले में इस अदालत ने कहा था कि सभी आपराधिक मुकदमे, परीक्षण और अपील, जो मोहन लाल मामले में निर्धारित कानून से पहले से कोर्ट के समक्ष लंबित है, उन मामले में व्यक्तिगत तथ्यों द्वारा शासित होना जारी रहेगा "

केस का विवरण

केस का नाम: सुरिंदर कुमार बनाम पंजाब राज्य

मामला संख्या : क्रिमिनल अपील 512 ऑफ 2009

कोरम: जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई

अपीलकर्ता के वकील: सीनियर एडवोकेट महाबीर सिंह व महेश बाबू,

प्रतिवादी के वकील: एडवोकेट रंजीता रोहतगी

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