NDPS Act |'टैक्सी चालक से यात्रियों की जानकारी देने की अपेक्षा नहीं की गई': सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित सामान ले जाने वाला टैक्सी चालक बरी किया

Update: 2025-01-14 06:03 GMT
NDPS Act |टैक्सी चालक से यात्रियों की जानकारी देने की अपेक्षा नहीं की गई: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित सामान ले जाने वाला टैक्सी चालक बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक टैक्सी चालक को बरी कर दिया, जिसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत फंसाया गया, केवल इसलिए कि वह अपनी टैक्सी में प्रतिबंधित सामान ले जाने वाले यात्रियों की जानकारी देने में विफल रहा था।

कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधित सामान ले जाने वाले यात्रियों की जानकारी देने में टैक्सी चालक की असमर्थता NDPS Act के तहत उसे फंसाने या दोषी ठहराने का औचित्य नहीं दे सकती, क्योंकि ड्राइवरों से ऐसी जानकारी जानने की अपेक्षा करना अनुचित है।

न्यायालय ने कहा,

"निम्न न्यायालयों ने अपीलकर्ता को केवल इस कारण से दोषी ठहराया कि अपीलकर्ता यात्रियों की जानकारी देने में सक्षम नहीं था। सामान्यतः, चूंकि यह विवादित नहीं है कि अपीलकर्ता टैक्सी चालक था और जब वह दो यात्रियों को लेकर जा रहा था, जो घटनास्थल से भाग गए तब टैक्सी से प्रतिबंधित सामान जब्त किया गया। इसलिए यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता स्वयं प्रतिबंधित सामान ले जा रहा था या उसने अपने वाहन में उक्त प्रतिबंधित सामान ले जाने की साजिश रची है। किसी भी टैक्सी चालक से यात्रियों का विवरण देने की अपेक्षा नहीं की जाती है, क्योंकि सामान्यतः कोई भी टैक्सी चालक/मालिक यात्री को टैक्सी में चढ़ने देने से पहले यात्री(यात्रियों) से ऐसा विवरण नहीं मांगता है। इसके अलावा, उन दो यात्रियों की तलाश करने का कोई प्रयास नहीं किया गया, जो सच्चाई को उजागर कर सकते हैं।”

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्णय के विरुद्ध दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को 20 किलोग्राम 'गांजा' ले जाने और रखने के लिए दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि की गई और उसे दस वर्ष के कठोर कारावास और 1,00,000/- (एक लाख रुपये) का जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया गया।

अपीलकर्ता-टैक्सी चालक ने अज्ञानता का दावा करते हुए तर्क दिया कि प्रतिबंधित सामान उन यात्रियों का था, जो उसकी टैक्सी में यात्रा कर रहे थे और पुलिस द्वारा वाहन रोके जाने के बाद भाग गए। चूंकि प्रतिबंधित सामान को अपीलकर्ता से नहीं जोड़ा जा सकता, इसलिए उस पर मुकदमा चलाने की कोई गुंजाइश नहीं है।

सजा को दरकिनार करते हुए न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि प्रतिबंधित सामान अपीलकर्ता का था; इसके अलावा जांच एजेंसी ने पुलिस को देखकर भागे हुए यात्रियों का पता लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

साथ ही न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता का टैक्सी से भागना नहीं और टैक्सी में खुलेआम पड़ा प्रतिबंधित सामान का बैग यह दर्शाता है कि अपीलकर्ता का प्रतिबंधित सामान से कोई संबंध नहीं था।

अदालत ने कहा,

"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता के पास से कोई भी आपत्तिजनक सामग्री जब्त नहीं की गई और उसने भागने का कोई प्रयास नहीं किया। इसके अलावा, जिन दो बैगों से प्रतिबंधित सामान जब्त किया गया, वे छिपे हुए नहीं थे, बल्कि दिखाई दे रहे थे। हमें अपीलकर्ता-चालक को उक्त प्रतिबंधित सामान से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं मिली, जिससे उस पर NDPS Act के तहत किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सके और उसे दोषी ठहराया जा सके।"

तदनुसार, अदालत ने अपील स्वीकार की और अपीलकर्ता बरी को कर दिया।

केस टाइटल: शंकर डोंगरीसाहेब भोसले बनाम कर्नाटक राज्य

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