MV Act | सुप्रीम कोर्ट ने कैशलेस इलाज से जुड़े मामलों को जस्टिस सप्रे कमेटी के पास भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज और पूरे इंश्योरेंस कवरेज से जुड़े मामलों को जस्टिस एएस सप्रे कमेटी (सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी) के पास भेज दिया।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच डॉ. एस राजसीकरन (गंगा हॉस्पिटल, कोयंबटूर के ऑर्थोपेडिक सर्जरी डिपार्टमेंट के चेयरमैन और हेड) की 2012 की PIL में एडवोकेट किशन चंद जैन की तरफ से दायर इंटरवेंशन एप्लीकेशन पर विचार कर रही थी, जो सड़क दुर्घटना में हुई मौतों से जुड़ी थी।
इनमें से एक एप्लीकेशन में यूनियन ऑफ़ इंडिया को मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 162(1) के तहत एक स्कीम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई, जिससे इंश्योरेंस कंपनियों को रोड एक्सीडेंट के पीड़ितों को हॉस्पिटल में कैशलेस इलाज देने की ज़रूरत हो, जो मोटर व्हीकल इंश्योरेंस कवर के तहत फ़ायदों के हकदार हैं। साथ ही एक्सीडेंट के पीड़ितों को समय पर फ़ाइनेंशियल मदद और डिस्चार्ज के बाद बिना किसी रुकावट के मेडिकल देखभाल के लिए इनवॉइस और सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट जमा करने के 2 हफ़्ते के अंदर समय-समय पर डिस्चार्ज के बाद के मेडिकल खर्चों का रीइंबर्समेंट भी करना होगा।
इस बारे में एप्लीकेशन में बताया गया कि जनवरी में कोर्ट ने यूनियन को गोल्डन आवर्स के लिए सिर्फ़ एमवी एक्ट के सेक्शन 162(2) के तहत एक स्कीम बनाने का निर्देश दिया था।
एप्लीकेशन में आगे इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (IRDAI) को यह निर्देश देने की मांग की गई कि वह यह पक्का करे कि सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां एमवी एक्ट की धारा 162(1) के तहत बनाई गई स्कीमों का पालन करें और रोड एक्सीडेंट के पीड़ितों (हॉस्पिटल में और हॉस्पिटल के बाद) के कैशलेस इलाज के लिए "पूरा कवरेज" दें। इस बारे में एप्लीकेंट ने इलेक्ट्रॉनिक-डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट्स (e-DAR) डेटा का हवाला देते हुए कहा कि लगभग 60% सड़क हादसों में थर्ड पार्टी कवरेज वाले मोटर व्हीकल शामिल होते हैं।
मांगी गई दूसरी राहतें इस तरह हैं:
- भारत सरकार को यह पक्का करने का निर्देश कि एमवी एक्ट के सेक्शन 162(1) के तहत स्कीम में असरदार तरीके से लागू करने के लिए साफ गाइडलाइन, फंडिंग सिस्टम और जवाबदेही के उपाय शामिल हों।
- भारत सरकार को यह निर्देश कि सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के लिए एमवी एक्ट के सेक्शन 162(1) के तहत ट्रीटमेंट स्कीम शुरू होने पर एक बड़ा अवेयरनेस कैंपेन ध्यान से चलाया जाए ताकि यह पक्का हो सके कि एलिजिबल लोगों, उनके परिवार के सदस्यों और साथियों को स्कीम के होने और फायदों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हो ताकि वे अपनी भलाई के लिए इस ज़रूरी रिसोर्स का असरदार तरीके से इस्तेमाल कर सकें।
- यूनियन ऑफ़ इंडिया को निर्देश दिया गया कि वह एमवी एक्ट के सेक्शन 162(1) के तहत स्कीम के मुताबिक, रोड एक्सीडेंट के पीड़ितों के मेडिकल इलाज के बारे में ज़रूरी जानकारी जनता को उपलब्ध कराए और स्कीम के ज़िले और राज्य के हिसाब से लाभार्थियों की संख्या और रोड एक्सीडेंट पीड़ितों के इलाज पर हुए खर्च के बारे में महीने/दो महीने में बुलेटिन जारी करे।
दलीलें सुनने और मटेरियल देखने के बाद शीर्ष कोर्ट ने यह सही समझा कि मांगी गई राहतों पर जस्टिस एएस सप्रे कमेटी विचार करे। इसलिए बेंच ने कमेटी से उन पर विचार करने और अपने सुझाव देने को कहा। कमेटी से कहा गया कि वह सभी स्टेकहोल्डर्स की बात सुने और 6 हफ़्ते में एक रिपोर्ट दे।
Case Title: S.RAJASEEKARAN Versus UNION OF INDIA AND ORS. AND ORS., W.P.(C) No. 295/2012