हत्या का मामला | 'क्रूर' सापेक्ष शब्द है; यदि इसका सामान्य अर्थ उपयोग किया जाता है तो आईपीसी की धारा 300 का अपवाद 4 कभी भी लागू नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 300 के अपवाद 4 में 'क्रूर' शब्द सापेक्ष शब्द है।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा,
"अपवाद 4 तब लागू होता है जब एक आदमी दूसरे को मारता है। सामान्य मानकों के अनुसार, यह अपने आप में क्रूर कृत्य है...... यदि हम अपवाद में प्रयुक्त 'क्रूर' शब्द का अर्थ बताते हैं, जो आम बोलचाल में उपयोग किया जाता है तो किसी भी स्थिति में अपवाद 4 लागू किया जा सकता है।"
इस मामले में भारतीय सेना में लांस नायक रहे आरोपी को कोर्ट मार्शल द्वारा सेना अधिनियम, 1950 की धारा 69 के सपठित आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस अपील में आरोपी ने तर्क दिया कि उसका मामला आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 द्वारा शासित होगा, क्योंकि यह घटना अचानक हुई लड़ाई का परिणाम थी और उसने आवेश में आकर ऐसा किया। दूसरी ओर, भारत संघ ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 300 का अपवाद 4 इस मामले में लागू नहीं होगा, क्योंकि यह नहीं कहा जा सकता कि अचानक लड़ाई हुई और आरोपी ने क्रूर तरीके से काम किया।
रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि उसने इतने क्रूर तरीके से काम किया है, जो उसे आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के लाभ से वंचित कर देगा।
खंडपीठ ने कहा,
"क्रूर व्यवहार शब्द सापेक्ष शब्द है। अपवाद 4 तब लागू होता है जब एक आदमी दूसरे को मारता है। सामान्य मानकों के अनुसार, यह अपने आप में क्रूर कृत्य है। अपीलकर्ता ने केवल एक गोली चलाई, जो घातक साबित हुई। उपलब्ध होने के बावजूद उसने अधिक गोलियां नहीं चलाईं। वह भागा नहीं और उसने मृतक को अस्पताल ले जाने में दूसरों की मदद की। यदि हम अपवाद 4 में प्रयुक्त 'क्रूर' शब्द का अर्थ बताते हैं, जो आम बोलचाल में उपयोग किया जाता है तो किसी भी स्थिति में अपवाद 4 लागू नहीं किया जा सकता।
इसलिए हमारे विचार में इस मामले में आईपीसी की धारा 300 का अपवाद 4 लागू था। इसलिए अपीलकर्ता गैर इरादतन हत्या का दोषी है। अपीलकर्ता ने मृतक के हाथ से राइफल छीन ली और मृतक पर एक गोली चला दी। यह कृत्य मृतक को ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया, जिससे मृत्यु होने की संभावना थी।
अदालत ने आंशिक रूप से अपील की अनुमति देते हुए कहा,
इसलिए इस मामले में आईपीसी की धारा 304 का पहला भाग लागू होगा। आईपीसी की धारा 304 के पहले भाग के तहत आरोपी को आजीवन कारावास या 10 साल तक की कैद से दंडित किया जा सकता है।"
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता का आचरण सजा का निर्धारण करने के लिए कम करने वाला कारक होगा। इस प्रकार सजा को उस अवधि के लिए कारावास में बदल दिया गया, जो वह पहले ही भुगत चुका है।
केस टाइटल- एल/एनके गुरसेवक सिंह बनाम भारत संघ | लाइव लॉ (एससी) 571/2023| आईएनएससी 648/2023
हेडनोट्स
भारतीय दंड संहिता, 1860 ; धारा 300 का अपवाद 4 - 'क्रूर आचरण' शब्द सापेक्ष शब्द है। अपवाद 4 तब लागू होता है जब एक आदमी दूसरे को मारता है। सामान्य मानकों के अनुसार, यह स्वयं क्रूर कृत्य है - यदि हम अपवाद में प्रयुक्त 'क्रूर' शब्द का अर्थ बताते हैं, जो आम बोलचाल में उपयोग किया जाता है तो किसी भी स्थिति में अपवाद 4 लागू नहीं किया जा सकता है। (पैरा 11)
भारतीय दंड संहिता, 1860 ; धारा 302 और 304 भाग 1 - अपीलकर्ता की सजा को आईपीसी की धारा 302 से आईपीसी की धारा 304 भाग 1 में बदल दिया गया।
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