MP राजनीतिक संकट : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, चलते सदन में फ्लोर टेस्ट कराने का राज्यपाल का फैसला सही
मध्य प्रदेश में कांग्रेस- भाजपा के बीच चली सत्ता की लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना विस्तृत फैसला सुनाया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को सुनाए इस फैसले में कहा है कि चलती हुई विधानसभा में राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश सही था और राज्यपाल के पास ये संवैधानिक अधिकार है कि वो चलते हुए सत्र में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे सकते हैं।
पीठ ने कहा कि टफ्लोर टेस्ट आवश्यक था क्योंकि सरकार बहुमत खो चुकी थी। राज्यपाल खुद कोई फैसला नहीं ले रहे थे बल्कि केवल फ्लोर टेस्ट करने को कह रहे थे।
अदालत ने कांग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अगर सदन चल रहा हो तो राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते।
पीठ ने कहा कि एक विधानसभा में दो तौर-तरीके होते हैं- अविश्वास प्रस्ताव या फ्लोर टेस्ट।इसमें राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग किया है।
पीठ ने कहा,
" हमने संवैधानिक कानून और राज्यपालों की शक्तियों पर एक विस्तृत निर्णय दिया है।"
पीठ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट क्यों जरूरी है, इस पर एसआर बोम्मई मामले के बाद से कोई फैसला नहीं हुआ है। बोम्मई फैसले में कहा गया है कि विश्वास मत को एक विधानसभा में रखा जा सकता है।
गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अदालत ने 19 मार्च को अतंरिम आदेश जारी करते हुए 20 मार्च की शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार बना ली।
दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रही राजनीतिक लड़ाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत दस विधायकों ने याचिका दाखिल कर विधानसभा स्पीकर को तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश देने की मांग की थी।
इस याचिका में कहा गया है कि राज्य में विधायकों की खरीद- फरोख्त जोरों पर है और ऐसे में तुरंत फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 12 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए। वहीं इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले में 16 कांग्रेसी बागी विधायक भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे।
दरअसल कोरोना की वजह से कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट से फिलहाल राहत मिल गई थी। स्पीकर ने मध्य प्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया है जबकि राज्यपाल लालजी टंडन ने स्पीकर को 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत परीक्षण कराने के लिए पत्र लिखा था।
इस बीच स्पीकर ने कांग्रेस के छह विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।