सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर यूनिफॉर्म नेशनल पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया

Update: 2023-04-11 06:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को निर्देश दिया। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर एक समान नेशनल पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है। 4 सप्ताह के अंदर इसकी रिपोर्ट पेश करने को भी कहा गया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच स्कूल में 6 वीं से 12 वीं तक की लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त में दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने सभी राज्यों से स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट की उपलब्धता और मेंस्ट्रुअल सैनिटरी पैड की आपूर्ति के बारे में जानकारी देने को कहा है। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैनिटरी पैड और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए किए गए खर्च की जानकारी मांगी है।

बेंच ने अपने आदेश में कहा,

"राज्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राज्य को अपनी मेंस्ट्रुअल हाईजीन पॉलिसी के बारे में 4 सप्ताह के भीतर बतानी होगी। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्कूलों में लड़कियों के अनुपात के बारे में जानकारी दें। कम लागत वाली सैनिटरी पैड सुनिश्चित करें।“

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि स्कूल में 6 वीं से 12 वीं तक की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड दिया जाए और और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था की जाए।

याचिका में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य का अधिकार राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत है। ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला अधिकार है जो जीवन और सम्मान के अधिकार की गारंटी देता है। 11 से 18 साल की गरीब किशोरियां मेंस्ट्रुअल हाईजीन के बारे में जागरुक नहीं हैं।

आगे कहा गया है कि अपर्याप्त मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रबंधन शिक्षा के लिए एक बड़ी बाधा है. स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच की कमी और मासिक धर्म से जुड़े सामाजिक व्यवहार के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं।

याचिका में ये भी मांग की गई है कि सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और बोर्डिंग स्कूल में अलग टॉयलेट और सफाईकर्मी रखने का निर्देश दिया जाए। साथ ही मेन्सुट्रअल वेस्ट को निपटाने के तरीके को भी सिखाया जाए।



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