मैटरनिटी लीव प्रजनन अधिकारों का हिस्सा: सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे बच्चे के लिए मैटरनिटी लीव देने से इनकार करने का फैसला किया खारिज

Update: 2025-05-23 13:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ का आदेश खारिज कर दिया, जिसमें सरकारी शिक्षिका को उसके तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) देने से इनकार कर दिया गया था। इसमें राज्य की नीति के अनुसार दो बच्चों तक ही लाभ सीमित करने का हवाला दिया गया था।

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा कि मैटरनिटी बैनिफिट प्रजनन अधिकारों का हिस्सा हैं और मैटरनिटी लीव उन लाभों का अभिन्न अंग है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“हमने प्रजनन अधिकारों की अवधारणा पर गहनता से विचार किया और माना कि मातृत्व लाभ प्रजनन अधिकारों का हिस्सा हैं। मैटरनिटी लीव मातृत्व लाभों का अभिन्न अंग है। इसलिए विवादित आदेश खारिज कर दिया गया। खंडपीठ का आदेश खारिज कर दिया गया।”

न्यायालय ने विवादित निर्णय खारिज कर दिया, बशर्ते कि मैटरनिटी लीव मौलिक अधिकार न होकर वैधानिक अधिकार या सेवा शर्तों से प्राप्त होने वाला अधिकार हो।

केस टाइटल- के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार

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